द वायर ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि प्रमुख विपक्षी दल के नेताओं और उनके सहयोगियों के फोन में भी जासूसी की कोशिश की गई.
रविवार की शाम न्यूज़ वेबसाइट ‘द वायर’ ने खुलासा किया कि साल 2017 से 2019 के बीच भारत के 40 पत्रकारों के फोन में जासूसी की जा रही थी. यह जासूसी इजरायली कंपनी द्वारा बनाए गए पेगासस स्पाइवेयर का उपयोग कर की गई थी.
इसके बाद वायर ने इसी खुलासे के दूसरे भाग में बताया कि सिर्फ पत्रकारों ही नहीं प्रमुख विपक्ष दलों के नेताओं, उनके सहयोगियों और बीजेपी के केंद्रीय मंत्रियों की भी जासूसी की गई या करने की कोशिश की गई.
इसमें कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी, उनके दोस्त और सहयोगी, चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर, ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी और केंद्र सरकार के दो केंद्रीय मंत्री अश्वनी वैष्णव और प्रहलाद सिंह पटेल शामिल हैं.
गौरतलब है कि लीक डेटाबेस को पेरिस स्थित गैर-लाभकारी मीडिया फॉरबिडन स्टोरीज़ और एमनेस्टी इंटरनेशनल द्वारा एक्सेस किया गया था. इन दो समूहों के पास 50 हजार से अधिक फोन नंबरों की सूची थी. इसे एक प्रोजेक्ट के अंतर्गत द वायर, ली मोंडे, द गार्जियन, वाशिंगटन पोस्ट, सुडडोईच ज़ाईटुंग और 10 अन्य मैक्सिकन, अरब और यूरोपीय समाचार संगठनों के साथ साझा किया गया.
इस सूची में पहचाने गए अधिकांश नाम 10 देशों के नागरिकों के हैं. यह देश भारत, अजरबैजान, बहरीन, हंगरी, कजाकिस्तान, मैक्सिको, मोरक्को, रवांडा, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात हैं. इस इन्वेस्टिगेशन को 'पेगासस प्रोजेक्ट' नाम दिया गया.
निशाने पर थे राहुल गांधी और उनके सहयोगी
जासूसी के लिए राहुल गांधी और उनके पांच दोस्तों और पार्टी के मामलों पर उनके साथ काम करने वाले दो क़रीबी सहयोगियों के फोन भी चुने गए थे. यह कोशिश 2018 और 2019 के बीच की गई. यह वह समय था जब देश में लोकसभा का चुनाव था.
वायर की रिपोर्ट के मुताबिक, ‘‘राहुल गांधी की हैंकिग करने की सनक इस स्तर तक थी कि उनके पांच करीबियों पर भी निशाना बनाने की तैयारी की गई थी, जबकि इन पांचों में से किसी का भी राजनीतिक या सार्वजनिक संबंधी कामों में भूमिका नहीं है.’’
इस रिपोर्ट में बताया गया है कि राहुल गांधी के फोन की फॉरेंसिक जांच नहीं हो पाई है क्योंकि फिलहाल वे उस हैंडसेट का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं, जिसे वे 2018 के मध्य और 2019 के बीच किया करते थे और इसी दौरान उनका नंबर जासूसी की सूची में शामिल किया गया था. तब गांधी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे.
खबर में आगे लिखा गया है कि फॉरेंसिक जांच नहीं हो पाने के चलते यह स्पष्ट रूप से बताना संभव नहीं है कि गांधी के फोन में पेगासस डाला गया था या नहीं. लेकिन उनके करीबियों से जुड़े कम से कम नौ नंबरों को निगरानी डेटाबेस में पाया जाना ये दर्शाता है कि इसमें राहुल गांधी की मौजूदगी महज इत्तेफाक नहीं है.
गांधी के दो करीबी सहयोगी जिनका नंबर लीक हुए डेटाबेस में शामिल हैं वे अलंकार सवाई और सचिन राव हैं. वायर की रिपोर्ट के मुताबिक राव कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्य हैं, जो वर्तमान में पार्टी कैडर को ट्रेनिंग देते हैं. जबकि सवाई गांधी के कार्यालय से जुड़े हुए हैं और आमतौर पर अपना अधिकांश समय उनके साथ ही बिताते हैं.
इस पूरे मामले पर वायर से बात करते हुए राहुल गांधी ने बताया है कि पूर्व में उन्हें संदिग्ध व्हाट्सएप मैसेजेस प्राप्त हुए थे, जिसके बाद उन्होंने तत्काल अपने नंबर और फोन बदल दिए, ताकि उन्हें निशाना बनाना आसान न हो.
प्रशांत किशोर और अभिषेक बनर्जी
चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी के भी फोन की जासूसी की कोशिश की गई. सिर्फ अभिषेक ही नहीं उनके निजी सचिव का भी नंबर लीक हुए डेटाबेस में शामिल है.
वायर की रिपोर्ट के मुताबिक, पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव के बीच प्रशांत किशोर के फोन में जासूसी करने की कोशिश की गई. आपको बता दें कि चुनाव के दौरान किशोर ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी के लिए बतौर राजनीतिक सलाहकार काम कर रहे थे.
वायर ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि प्रशांत और उनके करीबी सहयोगी का फोन फोरेंसिक जांच के लिए तुरंत उपलब्ध नहीं था. ऐसे में निश्चित रूप से यह नहीं कहा जा सकता है कि उनके फोन को हैक करने की कोशिश की गई थी या नहीं.
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Contributeअश्वनी वैष्णव और प्रहलाद सिंह पटेल भी निशाने पर
रविवार को पत्रकारों के फोन की जासूसी की खबर आने के बाद सोमवार को लोकसभा में इसको लेकर विपक्षी दलों के नेताओं ने जब सवाल उठाए तो केंद्रीय आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, “बीती रात एक वेब पोर्टल पर एक सेंसेशनल खबर प्रकाशित की गई. खबर में कई बड़े आरोप लगाए गए. ये रिपोर्ट संसद के मानसून सत्र से महज़ एक दिन पहले आई, ये कोई संयोग नहीं हो सकता. ये भारतीय लोकतंत्र को बदनाम करने की साज़िश है. उन्होंने साफ किया कि इस जासूसी कांड से सरकार का कोई लेना देना नहीं.’’
अश्विनी वैष्णव के इस बयान के बाद वायर ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि एनएसओ से लीक डाटा में अश्विनी वैष्णव का भी नंबर मौजूद था. इसके अलावा भारत सरकार के मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल का भी नंबर इसमें मौजूद रहा.
वायर की रिपोर्ट के मुताबिक हाल ही केंद्रीय मंत्री बने अश्विनी वैष्णव और जल शक्ति राज्यमंत्री प्रहलाद सिंह पटेल का नंबर भी निगरानी के संभावित लक्ष्य के 300 लोगों में शामिल था.
वायर की रिपोर्ट के मुताबिक अश्विनी वैष्णव को संभावित रूप से साल 2017 में जासूसी के लिए निशाना बनाया गया था. वैष्णव तब तक बीजेपी में शामिल नहीं हुए थे. यही नहीं लिक में डेटा में एक नंबर वैष्णव की पत्नी का नंबर भी जासूसी के लिए मौजूद था.
रिपोर्ट के मुताबिक जासूसी के लिए मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल में विशेष रुचि दिखाई देती है. लीक हुई सूची में न केवल उनके और उनकी पत्नी का फोन नंबर शामिल हैं, बल्कि उनके कम से कम 15 करीबी सहयोगियों का भी नाम है. इसमें पटेल के निजी सचिव, दमोह में राजनीतिक और कार्यालय के सहयोगी और यहां तक कि उनके रसोईया और माली भी शामिल हैं, जो निगरानी के संभावित लक्ष्य हैं. पटेल और उनके सहयोगियों का नंबर 2019 के मध्य में जासूसी के लिए चुना गया था.
इस रिपोर्ट में विश्व हिन्दू परिषद (वीएचपी) के पूर्व अध्यक्ष प्रवीण तोगड़िया का नंबर भी है. तोगड़िया पीएम मोदी के विरोधी माने जाते हैं. इसी विरोध के बीच उन्हें वीएचपी से हटा दिया गया था. रिपोर्ट के मुताबिक तोगड़िया का फोन संभवत: साल 2018 में जासूसी के लिए टारगेट किया गया.
राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया के निजी सचिव प्रदीप अवस्थी का फोन नंबर भी एनएसओ की लीक डेटा में मौजूद था. इनकी जासूसी की कोशिश राजस्थान विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले 2018 में की गई.
कांग्रेस की मांग गृहमंत्री इस्तीफा दें
लगातार आ रहे जासूसी की खबरों के बीच कांग्रेस पार्टी ने केंद्र सरकार पर सवाल उठाये हैं. सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि इसकी जांच होने से पहले खुद अमित शाह को गृह मंत्री पद से इस्तीफा दे देना चाहिए और पीएम मोदी की भूमिका की जांच होनी चाहिए.
वहीं कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, ‘‘भारत सरकार ने यह इजरायली पेगासस सॉफ्टवेयर कब खरीदा और किसने इजाजत दी थी और उसके लिए पैसा कहां से आया? उन्होंने कहा देश में आंतरिक सुरक्षा के जिम्मेदार खुद गृहमंत्री अमित शाह हैं. ऐसे में उन्हें बर्खास्त क्यों नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि ये सारा कुछ उनकी ही देखरेख में हो रहा है."
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