शिशु मृत्युदर: सूडान और युगांडा से नीचे खड़े मध्य प्रदेश के अखबार इसे खबर तक नहीं मानते

राज्यवार बात करें तो केरल का आईएमआर अमेरिका के बराबर है, वहीं मध्य प्रदेश की स्थिति युगांडा और सूडान से भी खराब है.

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खबरों की अहमियत के आधार पर ही अखबारों में उनका पन्ना तय होता है. कोई पहले पेज पर जाती है कोई आखिरी पेज पर, किसी को आठ कॉलम में छापा जाता है तो किसी खबर को एक कॉलम में. अगर अखबार आईपीएल की खबर पहले पन्ने पर छापें और शिशु मृत्यु दर की खबर को गायब ही कर दें, तो इसके दो कारण हो सकते हैं या तो अखबार का संपादकीय विवेक शून्य है या फिर व्यावसायिक हित पत्रकारिता पर हावी हैं.

26 अक्टूबर को मध्य प्रदेश के अखबारों ने ऐसा ही कुछ किया. भारत सरकार ने सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (एसआरएस) बुलेटिन जारी किया. इस बुलेटिन के जरिए शिशु मृत्यु दर, जन्म दर, मृत्यु दर, प्रजनन दर जैसे संकेतकों का राष्ट्रीय स्तर पहचान किया जाता है.

रिपोर्ट के अनुसार, शिशु मृत्य दर 2019 में गिरकर 30 हो गई है. जो कि 1971 में 129 हुआ करता था. भारत ने 2009 से 2014 के बीच इन संकेतकों में जबरदस्त सुधार किया था. मध्य प्रदेश में 2009 में शिशु मृत्यु दर 67 थी. 2014 में यह घटकर 52 पर पहुंच गई. 2019 में यह आंकड़ा 46 है. यानी 2014 से 2019 के बीच में बहुत ज्यादा सुधार नहीं हुआ है.

देश में औसत शिशु मृत्यु दर (आईएमआर) 30 है, जबिक मध्य प्रदेश में 46, उत्तर प्रदेश में 41, असम और छत्तीसगढ़ में 40 और ओडिशा में 38 है.

राज्यवर बात करें तो केरल का आईएमआर, अमेरिका के बराबर है, वहीं मध्य प्रदेश की स्थिति युगांडा और सूडान से भी खराब है.

वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक, युगांडा का आईएमआर 33 है, सूडान का 41 है. मध्य प्रदेश का आईएमआर दर 46 है. विश्व में सबसे ज्यादा खराब स्थिति सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक देशों की है, जहां आईएमआर की दर 81 है.

बता दें कि शिशु मृत्यु दर एक इलाके में एक समय में जन्म लेने वाले प्रति हजार बच्चों में से होने वाली मौतों की संख्या को कहते हैं.

25 अक्टूबर को जारी हुए बुलेटिन के अगले दिन 26 अक्टूबर के दैनिक भास्कर, नवदुनिया और पत्रिका अखबार के मध्य प्रदेश संस्करण का मुआयना न्यूज़लॉन्ड्री ने किया. नवदुनिया, जागरण समूह का अखबार है. यह मध्य प्रदेश के अन्य जिलों में नईदुनिया के नाम से भी जाना जाता है.

इंडियन रीडरशिप सर्वे के अनुसार, मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा दैनिक भास्कर, दूसरे पर पत्रिका और तीसरे नंबर पर नईदुनिया सबसे ज्यादा पढ़ा जाने वाला अखबार है. इन तीनों ही अखबार ने इस बुलेटिन पर कोई खबर प्रकाशित नहीं की.

दैनिक भास्कर ने अपने पहले पेज पर आश्रम-3 वेब सिरीज के सेट पर हुई हिंसा को जगह दी. उसके ठीक नीचे आईपीएल की दो नई टीमों की खरीद के ऊपर खबर लिखी है. लेकिन शिशु मृत्यु को लेकर कोई खबर नहीं दी गई. जब हमने अखबार के सभी पन्नों को पढ़ा तो पता चला की भास्कर ने इस खबर को प्रकाशित ही नहीं किया है. अखबार ने देश-विदेश पेज पर सूडान में हुए तख्तापटल के बारे में खबर प्रकाशित की है लेकिन मध्य प्रदेश जो सूडान से भी शिशु मृत्यु दर के मामले में नीचे है, उस पर कोई जानकारी नहीं दी गई. भास्कर मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा अखबार है.

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नई दुनिया अखबार ने अपने पहले पेज पर प्रधानमंत्री का बनारस में दिया गया भाषण छापा है. आश्रम-3 की घटना को भी जगह दी है, साथ में आईपीएल की खबरे छापी हैं. इन सब के अलावा कई अन्य खबरें छापी गई हैं लेकिन एसआरएस द्वारा जारी बुलेटिन को जगह नहीं दी गई. भास्कर की तरह ही नई दुनिया ने भी इस खबर को अपने अखबार में जगह नहीं दी.

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राजस्थान पत्रिका ने अपने भोपाल एडिशन के पहले पेज पर एनसीबी के जोनल डायरेक्टर समीर वानखेडे के ऊपर लगे आरोपो को प्रमुखता से छापा है. नीचे आश्रम-3 को लेकर मचे बवाल को जगह दी है साथ में नेशनल अवार्ड, जगदीप धनखड़ की बीमारी की खबरें प्रकाशित की गईं लेकिन मध्य प्रदेश के नजरिए से इतनी महत्वपूर्ण खबर को जगह नहीं दी.

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शिशु मृत्यु दर की खबर को टाइम्स ऑफ इंडिया ने जगह दी है वो भी 5 लाइन में. अंग्रेजी अखबार ने भी हिंदी अखबारों की तरह ही पहले पेज पर आईपीएल की खबर को महत्व दिया. हालांकि गनीमत रही है टीओई ने यह खबर प्रकाशित की, बाकी हिंदी पट्टी के अखबारों ने इसे छापने लायक नहीं समझा.

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