क्या है दिल्ली के रघुबीर नगर में हुई हत्या का सच

30 नवंबर को दिल्ली के रघुबीर नगर में एक लड़के की कथित तौर पर चाकू मारकर हत्या कर दी गई. दोनों मुख्य आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद अब इस पूरी घटना को एक सांप्रदायिक मोड़ दिया जा रहा है.

Article image
  • Share this article on whatsapp

क्या कहते हैं लाडला और बादल के करीबी दोस्त

मामले को और गहराई से जानने के लिए हम उस स्थान पर पहुंचे जहां लाडला ने बादल की कथित तौर पर हत्या की. लाडला फिलहाल पुलिस गिरफ्त में है लेकिन उसके परिवार के अन्य सदस्य उसकी मां, मौसी और उनके पति घर पर ताला लगाकर बंगाल में अपने गांव लौट गए.

हमने घटना स्थल पर मौजूद बादल और लाडला के दोस्तों से बातचीत की जिन्होंने घटना को अपने सामने होते हुए देखा था. साथ ही हमने कई मुसलमान और हिंदू परिवारों से भी बातचीत की. घटना के बाद से ही इलाके में सांप्रदायिक तनाव बना हुआ है. सबकी सुरक्षा को देखते हुए हमने गवाहों के नाम बदल दिए हैं.

जीतू बताता है कि शाह आलम, लाडला और बादल अच्छे दोस्त थे. जीतू भी उनके ग्रुप का हिस्सा था. सभी उसकी दुकान पर आकर बैठा भी करते थे. जीतू को लगता है कि यह सब पूर्व नियोजित साजिश थी, "हम सब एक साथ रहते थे. कभी एक दूसरे से न तो लड़ते थे, न गाली देते थे. लाडला भी बहुत अच्छा लड़का था. वह कभी किसी का बुरा नहीं चाहता था और न कभी भेदभाव किया. उसके घर का राशन हिंदू की दुकान से जाता था. लाडला के साथ ही घूमता था. एक दिन लाडला को पता चल गया कि बादल का पिछले तीन साल से उसकी छोटी बहन गुड्डी के साथ अफेयर चल रहा है. उसे इस बात का तगड़ा झटका लगा. उन्होंने बादल को प्लानिंग करके मारा है."

लाडला दिल्ली के ‘हाई-प्रोफाइल इलाके’ साउथ एक्स में नेल आर्ट का काम करता था.

जीतू आगे बताते हैं, "जब लड़की के घरवालों को इस सबके बारे में पता चला तो पूरा परिवार लड़की को लेकर गांव चला गया. शायद एक महीना पहले ही लाडला का परिवार वापस आया था लेकिन गुड्डी नहीं आई थी. परिवार में भी केवल शाह आलम और लाडला दिखाई दे रहे थे. बादल भी 20-25 दिन पहले ही मुंबई से लौटा था (बता दें बादल के मामा-मामी मुंबई में रहते हैं). लाडला उससे पहले ही आ गया था. मैं उसे और शाह आलम को एक-डेढ़ महीने से देख रहा था. मैंने कई बार उनसे बात भी की. किसी को नहीं लगा था कि ऐसा कुछ हो जाएगा."

जीतू का कहना है, “उसे शक है कि लाडला को उसके समुदाय द्वारा भड़काया गया, जिसके बाद वह ऐसा कदम उठाने को मजबूर हो गया. लाडला ऐसा लड़का नहीं था जो इतनी आसानी से किसी का कत्ल कर दे. उसे उसकी गली के मुसलमानों ने भड़काया है, जिसके बाद उसने इतना बड़ा कदम उठाया. वरना इस मोहल्ले में कई मुसलमानों ने हिंदुओं से शादी की है".

क्या कहती हैं पड़ोस की महिलाएं

लोगों से बातचीत करने पर कई अलग-अलग पहलू सामने निकलकर आए. लाडला की मां घरों में झाड़ू-पोछा लगाती थीं. उसकी मौसी गली की शुरुआत में चाय की छोटी सी दुकान चलाया करती थीं. अब वह दुकान बंद है और वहां पुलिस बैठी हुई है.

लाडला की मौसी की चाय की दुकान जो फिलहाल बंद है

30 वर्षीय रोहित भी उसी गली में रहते हैं जिस गली में लाडला का परिवार रहता और काम करता था. वह बताते हैं, “लाडला का परिवार पिछले 25 साल से उसी गली में रहता है. वे अच्छे लोग थे. 3-4 महीने पहले यहां से गुड्डी को ले गए थे लेकिन आज तक यहां उनकी किसी से कोई लड़ाई या दुश्मनी नहीं हुई है."

वहां से एक मुस्लिम महिला गुजर रही थीं. वह लाडला की मौसी निशाना बेगम की दोस्त थीं. वह और उनके साथ कई अन्य मुस्लिम महिलाएं बादल और गुड्डी के बारे में एक अलग कहानी बताती हैं.

अफसाना कहती हैं, "लाडला का परिवार बहुत अच्छा था. वे सबके साथ मिलकर रहते थे. गरीब थे. मैंने लाडला को अपने सामने बड़ा होते हुए देखा है. ये लोग पिछले 20 साल से यही रह रहे थे. बादल पहले भी लाडला के घर की लड़कियों पर नजर रखता था."

वह आगे बताती हैं, "ये लड़के दबंगई दिखाते हैं. बादल ने पहले लाडला की मौसी की लड़की फंसा ली थी. कुछ साल बाद बादल की नजर लाडला की बहन गुड्डी पर पड़ी. यह तब की बात है जब वह पढाई कर रही थी. एक साल पहले की बात रही होगी. यह किसी को मालूम नहीं था कि दोनों के बीच प्यार का मामला चल रहा है. बादल ने शाह आलम को धमकी दे रखी थी जबकि दोनों साथ चिकन की दुकान पर काम करते थे. जब शाह आलम को पता चला कि बादल ने उसकी भांजी पटा रखी है तो वह बादल से दूर होने लगा."

बदल के पिता और अफसाना ने इस बात की पुष्टि की कि गुड्डी नाबालिग थी और बादल से शादी करना चाहती थी. इसलिए वह एक दिन तिलक नगर थाना भी गई. अफसाना ने बताया कि उस दिन के बाद गुड्डी की मां उसे गांव ले गई.

अफसाना के बगल में खड़ी सादिया कहती हैं, "बादल ने इंस्टाग्राम पर गुड्डी की फोटो लगाई थी जो लाडला को पसंद नहीं आया. शाह आलम ने उसे समझाया भी कि ऐसा न करो, लेकिन बादल नहीं माना. उसके बाद से इनमें तनाव बढ़ गया."

हिंदू संगठनों का प्रदर्शन, डर और पुलिस की तैनाती

इस पूरे घटनाक्रम के बाद 3 दिसंबर, शुक्रवार को विश्व हिंदू परिषद् (वीएचपी) ने मामले को सांप्रदायिक मोड़ देने का प्रयास किया. वीएचपी द्वारा आयोजित शुक्रवार को एक विरोध प्रदर्शन में कई हिंदू संगठनों ने भाग लिया था. इस प्रदर्शन में अच्छी- खासी भीड़ का जमावड़ा था. इस भीड़ ने उस स्थान पर जाकर नारेबाजी और प्रदर्शन किया जहां लाडला ने बादल को चाकू से मार दिया था.

वीएचपी द्वारा आयोजित प्रदर्शन

उस दिन पूरी गली को बंद कर दिया गया और भारी पुलिस बल तैनात किया गया.

रघुबीर नगर में प्रदर्शन कर रहे वीएचपी के समर्थक

भाजपा जिला युवा मोर्चा के प्रवक्ता सक्षम मित्तल कहते हैं, "हम चाहते हैं कि परिवार को आर्थिक मदद दी जाए. साथ ही सरकारी नौकरी मिले. यह परिवार बहुत गरीब है. उसने अपना बेटा खो दिया है. जब मुसलमान मरते हैं तो केजरीवाल तुरंत वहां पहुंच जाते हैं. बादल अकेला पढ़ा लिखा कामकाजी लड़का था. हमने गिरफ्तारी के लिए नौ लोगों के नाम दिए हैं. पुलिस ने चार को ही पकड़ा है. बाकियों की भी गिरफ्तारी जल्दी हो."

38 वर्षीय पूनम राणा भी इस विरोध प्रदर्शन में मौजूद थीं. वह लोजपा (एलजेपी) की राष्ट्रीय सचिव हैं. वह कहती हैं, "पास ही में 857 नाम का एक क्षेत्र है. वहां 25 गज के मकानों को फैक्टरियों में बदल दिया गया है. ये सब मुसलमान हैं. किसी को नहीं मालूम ये लोग कहां से आए हैं. अस्पताल के बाहर की जगह को भी घेर लिया है. महिलाओं के लिए इस जगह को असुरक्षित बना दिया है. रघुबीर नगर को मिनी पकिस्तान बना दिया है."

मंगलवार को हुई घटना और फिर शुक्रवार को वीएचपी के प्रदर्शन के बाद से ही गली के लोगों में एक डर है. गली की शुरुआत में ही एक नाई की दुकान है. यहां काम करने वाले भूरा कहते हैं, "लोगों में डर है. हर कोई भड़का हुआ है. पुलिस को देखकर लोग घर से नहीं निकल रहे वरना दोपहर के समय (2 बजे) गली में हलचल बनी रहती है."

62 वर्षीय जया देवी कहती हैं, "बादल अच्छा लड़का था. वह यहीं मीट की दुकान पर काम करता था. लाडला की मौसी भी यहीं चाय की दुकान चलाती थीं. लोगों में डर है कोई सांप्रदायिक हिंसा न भड़क जाए, लेकिन अभी सब शांत हैं. यह गलत हुआ है. किसी को चाकू से नहीं मारना चाहिए था. प्यार तो उसकी बहन ने भी किया था तो मारा केवल एक को क्यों?"

क्या कहती है पुलिस

हमने गली में रहने वाली कई महिलाओं से बात की. सबने यही कहा कि रघुबीरनगर साढ़े बारह गज इलाका आपराधिक गतिविधियों के लिए प्रचलित है. बाहर का कोई ऑटो या रिक्शा इस गली में आने से कतराता है. महिलाएं और बच्चे खुद को असुरक्षित महसूस करते हैं लेकिन अब उन्होंने इसे ही अपना जीवन मान लिया है.

घटना स्थल पर तैनात पुलिस

न्यूज़लॉन्ड्री ने मामले की तहकीकात कर रहे जांच अधिकारी और फर्स्ट आइओ प्रकाश कश्यप से बात की. उन्होंने पूरे मामले का सच बताया. कश्यप कहते हैं, "बादल और लाडला की बहन का अफेयर था. बादल बीच-बीच में इसको लेकर स्टेटस लगा दिया करता था, लाडला को चिढ़ाता था. इस कारण दोनों में तनाव चल रहा था. इसी चक्कर में लाडला ने अपनी बहन को तीन महीने पहले ही गांव भेज दिया लेकिन बादल बहुत डॉमिनेटिंग नेचर का था. लाडला ने प्लानिंग करके बादल की हत्या की है. इसके अलावा कोई वजह नहीं है. धर्म का एंगल बेवजह जोड़ा जा रहा है".

Also see
article imageडिस्मैंटलिंग ग्लोबल हिंदुत्व कांन्फ्रेंस का हिंदू संगठनों ने क्यों किया विरोध?
article imageत्रिपुरा: सोशल मीडिया के दौर में सांप्रदायिक हिंसा का जहर
subscription-appeal-image

Power NL-TNM Election Fund

General elections are around the corner, and Newslaundry and The News Minute have ambitious plans together to focus on the issues that really matter to the voter. From political funding to battleground states, media coverage to 10 years of Modi, choose a project you would like to support and power our journalism.

Ground reportage is central to public interest journalism. Only readers like you can make it possible. Will you?

Support now

You may also like