त्रिपुरा में एक मस्जिद जलाई गई, लेकिन पुलिस उसे सिर्फ एक 'प्रार्थना कक्ष' बता रही है

गृह मंत्रालय और त्रिपुरा पुलिस का दावा है कि राज्य में हाल में किसी मस्जिद को नुकसान नहीं पहुंचाया गया है. लेकिन दो एफआईआर और जमीनी हकीकत कुछ और ही इशारा करती हैं.

WrittenBy:आयुष तिवारी
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'मनमाना' भेद

न्यूज़लॉन्ड्री ने इस्लाम के विद्वानों से मस्जिद और प्रार्थना कक्ष के इस कथित भेद पर उनकी राय मांगी. "यह जरूरी नहीं है कि हर मस्जिद में जुमे की नमाज हो," दिल्ली में कश्मीरी गेट स्थित शिया जामा मस्जिद के इमाम मौलाना अली मोहसिन तकवी ने कहा, "ऐसी कई मस्जिदें हैं जहां जुमे की नमाज नहीं होती लेकिन वह फिर भी मस्जिदें हैं. एक मस्जिद को मस्जिद होने के लिए गुंबद और मीनारों की भी जरूरत नहीं होती है."

जमात-ए-इस्लामी हिंद में शरिया काउंसिल के सचिव मुहम्मद रजीउल इस्लाम नदवी ने कहा कि मस्जिदें दो प्रकार की होती हैं. "जामा मस्जिदों के विपरीत, छोटी मस्जिदों में आमतौर पर जुमे की नमाज नहीं होती है," उन्होंने कहा.

"यह कहना गलत है कि वह मस्जिदें नहीं हैं. पुलिस द्वारा एक मस्जिद और एक प्रार्थना कक्ष के बीच मनमाने तौर पर अंतर किया जा रहा है. भले ही किसी मस्जिद में जुमे की नमाज नहीं होती हो, फिर भी वह मस्जिद ही होती है," उन्होंने कहा.

पनिसागर जामा मस्जिद, उत्तरी त्रिपुरा

उत्तरी त्रिपुरा के पनिसागर में एक और मस्जिद, जिसे पनिसागर जामा मस्जिद कहा जाता है, अब कालिख से ढकी है; अवशेष के रूप में केवल इसकी काली छत और जले हुए फर्नीचर बचे हैं.

स्थानीय लोगों का आरोप है कि काकराबन की मस्जिद की तरह पनिसागर जामा मस्जिद को जो शहर के रीजनल कॉलेज ऑफ फिजिकल एजुकेशन (आरसीपीई) के बगल में स्थित है- 21-22 अक्टूबर की रात में जला दिया गया था. यह घटना उस विहिप रैली के पांच दिन पहले घटी जिसके बाद पास के चमटीला गांव की एक और मस्जिद में तोड़फोड़ की गई और रोवा बाजार की दो दुकानों में आग लगा दी गई थी.

जामा मस्जिद

इस मामले में 11 नवंबर को एफआईआर दर्ज कराई गई जिसे न्यूज़लॉन्ड्री ने देखा. प्राथमिकी में कहा गया है, 'मामले का तथ्य संक्षेप में यह है कि 21/10/2021 की रात किसी समय कुछ अज्ञात बदमाशों ने पनिसागर टाउन जामा मस्जिद में तोड़फोड़ की. बदमाशों ने कई कीमती सामान भी जला डाले. अगले दिन 22/10/2021 को जब शिकायतकर्ता मौके पर पहुंचे तो उन्होंने यह सब कुछ देखा.'

इसमें प्राथमिकी दर्ज कराने में देरी पर सफाई देने की भी कोशिश की गई है. "शिकायतकर्ता ने कहा कि मस्जिद समिति के सदस्यों से उनकी सहमति लेने हेतु बातचीत के कारण पीएस (थाने) में शिकायत दर्ज कराने में देरी हुई."

इस मामले में शिकायतकर्ता अब्दुल बासित हैं. न्यूज़लॉन्ड्री को पता चला है कि वह मस्जिद कमेटी के सचिव हैं. उन्होंने इस मुद्दे पर टिप्पणी करने से मना कर दिया.

हालांकि, मस्जिद समिति के एक अन्य सदस्य ने स्थानीय अधिकारियों के 'हमले' के डर से नाम न छापने की शर्त पर दावा किया कि बासित ने शिकायत 23 अक्टूबर को दर्ज की थी जिसे न्यूज़लॉन्ड्री ने भी देखा, लेकिन पुलिस ने शिकायत के प्रारूप में त्रुटियों का हवाला देते हुए उसे दर्ज करने में 'देरी' की.

न्यूज़लॉन्ड्री को यह भी पता चला कि इस आगजनी का पहला चश्मदीद एक हिंदू व्यक्ति था, जिसने 22 अक्टूबर की सुबह मस्जिद समिति के एक सदस्य को कथित तौर पर इस बारे में आगाह किया.

हालांकि, उपर्युक्त वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने दावा किया कि मस्जिद अब 'उपयोग में नहीं है' और वहां केवल 'नशेड़ी' जाते हैं. "वह छोटी स्तर की आग थी जो शायद इन्हीं नशेड़ियों की वजह से लगी होगी," उन्होंने कहा. "हमें स्थानीय अग्निशमन विभाग तक में अलर्ट नहीं मिला."

दो उपासकों ने इस दावे का खंडन किया और कहा कि हर शुक्रवार को एक दर्जन लोग मस्जिद में नमाज अदा करते हैं. उनका कहना था कि मस्जिद की एक कार्यात्मक समिति भी है जो ढांचे की देखभाल करती है.

इस दावे के समर्थन में उन्होंने 18 जनवरी, 2021 को मस्जिद के अध्यक्ष और सचिव को पनिसागर के सब डिविजनल मजिस्ट्रेट द्वारा दिया गया एक ज्ञापन दिखाया. यह दस्तावेज 'सरकारी खास भूमि/सार्वजनिक परिसरों पर बनाए गए अनधिकृत धार्मिक संरचनाओं को विस्थापित करने/हटाने' से संबंधित था. उसमें चार मंदिरों और 'आरसीपीई कॉलेज के पास की मस्जिद' को सूचीबद्ध किया गया था.

मस्जिद कमेटी ने 20 जनवरी 2021 को एसडीएम के ज्ञापन का जवाब देते हुए कहा था कि मस्जिद का निर्माण सीआरपीएफ के जवानों ने 1982 में किया था. स्थानीय उपासकों के अनुसार 1999 के आसपास जब वह 'लौट रहे थे तो मुस्लिम सीआरपीएफ जवानों ने मस्जिद को स्थानीय मुसलमानों को सौंप दिया था', समिति ने जवाब में कहा था.

“धीरे-धीरे, उक्त मस्जिद पनिसागर अनुमंडल जुम्मा मस्जिद बन गई. उपमंडल के विभिन्न कोनों से एसडीएम और अन्य कार्यालयों में आने वाले मुस्लिम समुदाय के लोग इस मस्जिद में नमाज अदा करते हैं... कभी-कभी आरसीपीई कॉलेज के प्रोफेसर और छात्र और बीएसएफ के जवान भी नमाज अदा करने आते हैं," जवाब में कहा गया.

जहां एक ओर इससे पता चलता है कि मस्जिद 'परित्यक्त' नहीं थी, पुलिस ने आधिकारिक बयानों में इसे उजागर न करने के लिए अन्य तरीकों का इस्तेमाल किया.

‘उत्तरी त्रिपुरा के पनिसागर में कल विरोध प्रदर्शन के दौरान कोई मस्जिद नहीं जलाई गई,’ त्रिपुरा पुलिस ने 27 अक्टूबर को ट्वीट किया. 'मस्जिद जलाने या क्षतिग्रस्त होने या लाठी आदि के संग्रह की जो तस्वीरें शेयर की जा रही हैं सब फर्जी हैं और त्रिपुरा की नहीं हैं.'

त्रिपुरा के पुलिस महानिरीक्षक सौरभ त्रिपाठी ने 28 अक्टूबर को एएनआई को बताया, "जो वीडियो और तस्वीरें फैलाई जा रही हैं उनका पनिसागर की घटना से कोई संबंध नहीं है."

इन बयानों में यह नहीं कहा गया है है कि कोई मस्जिद जलाई ही नहीं गई, बल्कि या दावा किया गया है कि 26 अक्टूबर को विहिप की रैली के दौरान कोई मस्जिद नहीं जलाई गई.

जामा मस्जिद में आग रैली से पांच दिन पहले 21 अक्टूबर को लगाई गई थी.

न्यूज़लॉन्ड्री ने इस संबंध में गृह मंत्रालय को प्रश्न भेजे हैं. अगर उनकी कोई प्रतिक्रिया मिलती है तो इस रिपोर्ट को अपडेट कर दिया जाएगा.

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