अस्पतालों और नर्सिंग होम की गड़बड़ी उजागर कर रहे पत्रकार की जलाकर हत्या

हत्या का शक अस्पतालों और नर्सिंग होम में भ्रष्टाचार करने वालों पर.

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लोगों का अनुमान है कि अविनाश शायद जल्द ही लौटने की मंशा से कहीं निकला था लेकिन फिर वापस नहीं लौटा. 10 तारीख को परिजनों की चिंता बढ़ी तो पास के सीसीटीवी कैमरे को खंगाला गया, जिसमें वह रात को 9.58 बजे अंतिम बार दिखे.

परिजनों की शिकायत के बाद पुलिस ने उसका मोबाइल ट्रेस किया तो पाया कि बेनीपट्टी थाने से पश्चिम करीब 5 किलोमीटर की दूरी पर बेतौना गांव में 10 तारीख के सुबह 9 बजे आखिरी बार अविनाश का मोबाइल ऑन हुआ था. पुलिस जानकारी के लिए बेतौना गांव पहुंची लेकिन उसे कुछ खास हाथ नहीं लगा.

अविनाश झा के बारे में जो जानकारी सामने आ रही है उसके मुताबिक वो बेनीपट्टी के कुछ फर्जी नर्सिंग होम के खिलाफ अभियान शुरू करने जा रहे थे. 7 नवम्बर को अपने फेसबुक स्टोरी में अविनाश ने ऐसे कुछ फर्जी क्लीनिक के नाम सहित ‘खेला होबे’ का गाना शेयर किया था. उन्होंने कहा था कि 15 नवम्बर से खेला होबे.

इस बात की अटकलें लगाई जा रही हैं कि अविनाश की हत्या के तार फर्जी नर्सिंग होम वाली फेसबुक स्टोरी से जुड़े हो सकते हैं.

बताया जा रहा है कि अविनाश झा ने दर्जनों फर्जी नर्सिंग होम पर आरटीआई के माध्यम से लाखों का जुर्माना लगवाया था और कुछ को बंद भी करना पड़ा था. अविनाश ने साल 2019 में बेनीपट्टी के कटैया रोड में जयश्री हेल्थ केयर के नाम से अपना नर्सिंग होम खोला था. यहां वो बाहर से चिकित्सकों को बुलाकर मरीजों का इलाज करते थे. अविनाश के इस बिजनेस से उनकी स्पर्धा बेनीपट्टी के दूसरे चिकित्सकों और नर्सिंग होम वालों से शुरू हो गई. अविनाश के ऊपर लोगों ने इतना दबाव बनाया कि उसे अपना क्लीनिक बंद करना पड़ा. इसके बाद अविनाश ने इलाके के अन्य क्लीनिक और नर्सिंग होम की गड़बड़ियों का खुलासा करना शुरू कर दिया. वो आरटीआई और बीमारों के परिजनों के साथ मिलकर यह काम कर रहे थे.

तीन भाइयों में अविनाश सबसे छोटे थे. उनके पिता का नाम दयानंद झा है.

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