यूपी पुलिस को लगता है कि सिद्दीकी कप्पन की पीएफआई के साथ साजिश साबित करने के लिए कुछ लिंक और व्हाट्सएप चैट पर्याप्त हैं

केरल के पत्रकार पर लगाए गए आरोप पत्र पर आधारित इस सीरीज के दूसरे भाग में न्यूज़लॉन्ड्री कप्पन और पीएफआई के बीच तथाकथित संबंधों को खंगालती है.

WrittenBy:आकांक्षा कुमार
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कमल केपी के साथ चैट, 1 सितंबर 2020 को 6:33 AM पर:

इस बातचीत में कप्पन के द्वारा मलयालम में भेजा गया एक वॉइस मैसेज यानी अपनी आवाज में रिकॉर्ड किया गया संदेश है, इसका निम्नलिखित अनुवाद किया गया:

"कमल साहेब, आपकी योजनाओं का क्या? आपने एक क्लास…. एक व्हाट्सएप का जिक्र किया था. उस बारे में कोई निर्णय हुआ? मेरी 11 तारीख तक दिल्ली वापस जाने की योजना है. क्या वह इससे पहले हो सकता है? क्या आप अपडेट दे सकते हैं. सुनने के बाद इसे डिलीट कर दीजिए."

चार्जशीट के अनुसार, यह वॉइस मैसेज दिखाता है कि कप्पन "एक गुप्त एजेंडा की ओर इशारा कर रहे हैं और इसलिए ऑडियो को डिलीट करने की सलाह दे रहे हैं जिससे जानकारी लीक न हो पाए."

न्यूजलॉन्ड्री ने कमल केपी से कप्पन द्वारा "ऑडियो डिलीट करने के सुझाव" के बारे में पूछने के लिए संपर्क किया.

कमल ने कहा, "चार्जसीट में जिस कथित ऑडियो संदेश का जिक्र है, उसे सुने बिना उस पर टिप्पणी करना असंभव है. इसके इतर, जांच एजेंसियों द्वारा इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से छेड़छाड़ कोई नई बात नहीं है, जिसे अमेरिका में मैसेचूसेट्स की एक डिजिटल फॉरेंसिक फर्म आर्सेनल कंसलटिंग के द्वारा भीमा कोरेगांव मामले की जांच में उजागर किया जा चुका है. निरंकारी आरोपी रोना विल्सन के लैपटॉप को हैक किया गया और उसमें 10 फंसाने वाली चिट्ठियां प्लांट की गईं. इसलिए 'कथित वॉइस मैसेज को डिलीट करने' की बात अचंभित करने वाली नहीं है, बेगुनाहों को फंसाने के लिए यूपी एसटीएफ की यह मनगढ़ंत कहानी है."

2 अक्टूबर 2020 को कमल के पी के साथ साझा किए गए लिंक

उत्तर प्रदेश एसटीएफ ने उन संदेशों को भी आरोपपत्र में रखा है जिसमें कप्पन ने पीएफआई सदस्य के साथ लिंक साझा किए हैं. इनमें से 2 अक्टूबर 2020 को साझा गया एक लिंक, कप्पन के द्वारा लिए गए उच्चतम न्यायालय के वकील प्रशांत भूषण के इंटरव्यू का है जो कि न्यूज़ वेबसाइट मुस्लिम मिरर पर प्रकाशित हुआ था. यह स्पष्ट नहीं है कि इस इंटरव्यू को आरोप पत्र में क्यों शामिल किया गया है.

4 अक्टूबर 2020 को कप्पन ने कमल केपी को अपनी इस कहानी का लिंक भेजा, जो कि सीपीआईएम के नेता विजू कृष्णन के हाथरस सामूहिक बलात्कार पीड़िता के परिवार से मिलने को लेकर है. आरोप पत्र में यूपी एसटीएफ सीपीएम के नेता और भीम आर्मी के अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद के जिक्र को भी रेखांकित करती है, जो पीड़िता के परिवार से मिले थे. जांच अधिकारी आरोप लगाते हैं कि कप्पन कमल केपी को दलितों और मुसलमानों से जुड़ी रिपोर्ट "पीएफआई के एजेंडा के तहत" भेज रहे थे.

यह स्पष्ट नहीं है कि इन व्हाट्सएप चैट का कप्पन पर लगाए गए "हाथरस में हिंसा भड़काने के आरोप" से क्या संबंध है.

पीएफआई के चेयरमैन ओएमए सलमान के साथ चैट:

14 अगस्त 2020 को कप्पन ने ओएमए सलमान को ज़ी न्यूज़ की एक कहानी का लिंक भेजा, जिसका शीर्षक था "एक्सक्लूसिव: दिल्ली दंगों की योजना जामिया हिंसा के बाद बनाई गई; आरजेडी यूथ विंग की नेता मीरन हैदर का खुलासा: पीएफआई ने फंड उपलब्ध कराए." लिंक भेजने के बाद कप्पन ने एक मैसेज भेजा जिसमें लिखा था, "कृपया तुरंत ध्यान दें." यूपी एसटीएफ का कहना है कि यह संदेश कप्पन की पीएफआई से नज़दीकियों का सबूत है. आरोपपत्र कहता है, "और क्योंकि पीएफआई फंडिंग की खबर बाहर आ चुकी थी वह पीएफआई के चेयरमैन को इसके बारे में चेता रहे थे."

न्यूज़लॉन्ड्री ने पहले रिपोर्ट किया था, कि किस प्रकार यह एक्सक्लूसिव, ज़ी न्यूज़ के द्वारा भ्रमित करने वाली, एकतरफा और बिना किसी आधार की कई कहानियां थीं. इनमें से अधिकतर, दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के द्वारा दी गई अपुष्ट जानकारियां चयनित लीकों पर आधारित थीं.

पीएफआई से कप्पन के कथित संबंधों के बारे में पूछने पर, उनके जनरल सेक्रेटरी अनीस अहमद ने कहा, "यह दो लोगों के बीच हुई कथित बातचीत है, इसलिए हम एक संस्था होने के नाते इस पर टिप्पणी नहीं कर सकते. पीएफआई से किसी लिंक एक राजनीतिक निर्णय का हिस्सा है."

इस खबर के अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.

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