30 लाख के दावे में बलिया के ये तमाम लोग भी शामिल हैं जिन्हें बिना वैक्सीन के सर्टिफिकेट जारी हो गया

27 अगस्त को भारत में एक करोड़ वैक्सीन लगाने का दावा किया गया. उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के हुसैनाबाद गांव में हमें बड़ी संख्या में ऐसे लोग मिले जिन्हें बिना टीका लगाए सर्टिफिकेट जारी कर दिया गया.

WrittenBy:बसंत कुमार
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‘‘आज रिकॉर्ड टीकाकरण! 1 करोड़ को पार करना एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है. टीका लगवाने और टीकाकरण अभियान को सफल बनाने वालों को बधाई.’’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार की शाम ट्वीट कर देश को जानकारी दी की आज यानी 27 अगस्त को एक करोड़ लोगों को कोरोना का टीका लगा है. हर बार की तरह इस बार भी पीएम के ट्वीट के बाद बीजेपी नेताओं, केंद्र सरकार के मंत्रियों और पत्रकारों ने दनादन इसको लेकर ट्वीट करना शुरू कर दिया.

जब ट्विटर पर लोग एक करोड़ वैक्सीन का जश्न मना रहे थे, तभी उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के हुसैनाबाद गांव में कई लोग परेशान थे. इन तमाम लोगों को टीका तो नहीं लग पाया था लेकिन देर शाम उनके फोन पर वैक्सीन की पहली डोज लगने का बधाई संदेश और पहली डोज़ का सर्टिफिकेट पहुंच गया.

बलिया जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूर हुसैनाबाद गांव पड़ता है. इस गांव की आबादी करीब 15 हज़ार हैं. यहां के रहने वाले 34 वर्षीय विनायक चौबे हरियाणा के गुड़गांव में नौकरी करते थे. यहां उन्होंने वैक्सीन के लिए एप पर रजिस्टेशन तो करा लिया था, लेकिन वैक्सीन नहीं लिया था. गुरुवार को विनायक अपने गांव पहुंचे, तो उन्हें पता चला कि शुक्रवार को गांव में वैक्सीन कैंप लगने वाला है.

विनायक न्यूज़लॉन्ड्री को फोन पर बताते हैं, ‘‘मुझे जानकारी मिली की वैक्सीन लगने वाला है तो मैं अपने छोटे भाई विमलेश चौबे और बहन प्रियंका चौबे के साथ वैक्सीन लगवाने चला गया. वहां हमने अपनी तमाम जानकारी दे दी और बैठकर अपनी बारी का इंतज़ार करने लगे. कैंप में काफी भीड़ थी. हमने दिन भर इंतज़ार किया, लेकिन बारी नहीं आई. हम शाम को घर लौट आए. रात के करीब 10 बजे मैसेज आया कि हमें वैक्सीन लग गया है. सर्टिफिकेट पर तमाम जानकारी हमारी ही है, लेकिन हमें वैक्सीन लगा ही नहीं है.’’

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ऐसा सिर्फ विनायक या उनके भाई-बहनों के साथ ही नहीं हुआ. हुसैनाबाद के प्रधान संजीत यादव के मुताबिक उनके गांव में करीब 20-30 ऐसे लोग हैं. इसमें से 22 वर्षीय रानी दुबे और 25 वर्षीय आरती दुबे भी हैं.

न्यूज़लॉन्ड्री ने फोन पर रानी से बात की. शुक्रवार को क्या हुआ इसको लेकर रानी कहती हैं, ‘‘शुक्रवार सुबह साढ़े नौ बजे गांव के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर मैं, मेरी दीदी आरती दुबे और भतीजी प्रगति दुबे वैक्सीन लगवाने के लिए पहुंचे. वहां काफी भीड़ थी. जैसे-तैसे हमने अपने आधार कार्ड का नंबर और फोन नंबर लिखवाया और अपनी बारी का इंतज़ार करने लगे. शाम पांच बजे तक हमने इंतज़ार किया, लेकिन हमारी बारी नहीं आई. फिर हम तीनों वापस लौट आए. रात के 10 बजे हम तीनों को मैसेज आया कि आपको वैक्सीन लग गया है. हम हैरान हो गए कि जब हमें वैक्सीन लगा ही नहीं तो ये मैसेज कैसे आया.’’

हुसैनाबाद प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर इससे पहले भी कैंप लग चुका है. शुक्रवार को यहां 18 साल से ज़्यादा उम्र के 118 डोज और 45 साल से ज़्यादा उम्र के 108 डोज लगे हैं.

गांव में रहने वाले 21 वर्षीय पियूष तिवारी और उनके 28 वर्षीय दिव्यांग भाई पवन तिवारी भी वैक्सीन लेने पहुंचे थे. पियूष कहते हैं, ‘‘आशा कार्यकर्ताओं ने कहा था कि सुबह सात बजे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर पहुंचना है. मेरे बड़े भाई पवन तिवारी, जो दिव्यांग हैं. उनके पैरों में रॉड लगा हुआ है, वे सुबह काफी जल्दी निकल गए. मैं थोड़ी देर बाद पहुंचा और डिटेल लिखवाने के बाद हम दोनों इंतज़ार करने लगे.’’

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पियूष आगे कहते हैं, ‘‘लोगों को सुबह सात बजे बुलाया गया था, लेकिन वैक्सीन लगने की प्रक्रिया दोपहर 1 बजकर 15 मिनट से शुरू हुई. हम दोनों भाइयों में किसी का भी नाम नहीं बोला जा रहा था. थक-हार मैंने वहां मौजूद सिपाही से गुजारिश की कि मेरे भाई दिव्यांग हैं. वे सुबह से इंतज़ार कर रहे हैं. कम से कम उन्हें तो लगवा दो. सिपाही ने हमारी बात सुनी और भैया को वैक्सीन लग गया लेकिन मुझे वैक्सीन नहीं लगा. देर शाम को बिना टीकाकरण के मैं वापस लौट आया. रात को मैसेज आया कि मुझे वैक्सीन लग गया है. मैं परेशान हो गया कि जब वैक्सीन लगा नहीं तो मैसेज कैसे आ गया.’’

शनिवार सुबह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हिंदुस्तान अख़बार का एक न्यूज़ कटिंग साझा किया. मुख्यमंत्री ने लिखा, ‘देश में एक करोड़, यूपी में 29 लाख को टीके.’ यही अख़बार की खबर का भी शीर्षक है.

उत्तर प्रदेश के सूचना एवं जनसंपर्क के निर्देशक शिशिर ने भी ट्वीट करके इसकी जानकारी दी. अपर मुख्य सचिव, स्वास्थ्य के हवाले जानकारी देते हुए इन्होंने लिखा- ‘‘यूपी ने एक दिन में 30 लाख का कोविड टीकाकरण का आंकड़ा पार कर लिया है. 27 अगस्त को 30,00,680 खुराक दी गईं.’’

जाहिर है सरकार के 30 लाख के आंकड़ें में ये लोग भी शामिल होंगे.

वैक्सीन लगा नहीं लेकिन सर्टिफिकेट मिल गया. ऐसे में आपको आगे क्या परेशानी आएगी? इस सवाल के जवाब में विनायक चौबे कहते हैं, ‘‘परेशानी हमें भी हैं और जिन्हें हमारी जगह लगा होगा उन्हें भी होगी. पहली बात कि अब हम वैक्सीन लगवाने जाएंगे तो डॉक्टर कहेंगे कि तुम्हें पहला डोज लग चुका है, हम इससे इंकार करेंगे और इसमें में परेशानी होगी. और हमारी जगह जिनको वैक्सीन लगा होगा वे सेकेंड डोज नहीं ले पाएंगे, क्योंकि उनके पास सर्टिफिकेट ही नहीं है. यह बड़ी लापरवाही है.’’

रानी दुबे हो या पियूष तिवारी. सबकी चिंता यही है कि पहला डोज उन्हें कैसे लगेगा. रानी कहती हैं, ‘‘सिर्फ हमारे साथ ही ऐसा नहीं हुआ बल्कि गांव के कई लोगों के साथ ऐसा हुआ है. हम पहला डोज नहीं लगवाए है तो दूसरा डोज कैसे लगवा पाएंगे? अगर लगवा भी लिए तो हमें आगे जाकर कोई परेशानी तो हो सकती है. मुझे क्या सबको यही परेशानी होगी.’’

गांव के रहने वाले छात्र नेता नीरज दुबे न्यूज़लॉन्ड्री से बात करते हुए कहते हैं, ''इसमें स्वास्थ्य विभाग की नाकामी दिखती है. वैक्सीन लगाने के लिए सरकार की तरफ से जो अधिकारी उपस्थित थे. वो आधार कार्ड देख नहीं रहे थे कि किसके नाम पर किसको टीका लगा रहे हैं. दूसरी बात वहां हमारे गांव के प्रधान और आशा बहुएं मौजूद थीं. ये तो लोगों को पहचानते थे न? फिर ऐसा कैसे हुआ कि किसी और के नाम पर किसी और टीका लग गया.''

नीरज आगे कहते हैं, ''जिनको वैक्सीन नहीं लगा और सर्टिफिकेट आ गया है उनको तो सरकार अपनी गलती छुपाने के लिए टीका लगवा देगी. लेकिन जिन लोगों को टीका लग चुका है और सर्टिफिकेट नहीं मिला वो अगर फिर से टीका लगवाते हैं तो रिएक्शन हो सकता है. ये गलती हुई है न.''

क्या कहते हैं जिम्मेदार

गांव के प्रधान संजीत यादव बताते हैं, ‘‘मुझे गांव के ही हरिशंकर गोड़ ने बताया कि उन्हें वैक्सीन नहीं लगा लेकिन लगने का मैसेज आ गया है. मैं सबसे बात तो नहीं कर पाया, लेकिन गांव में करीब 20-30 लोगों के साथ ऐसा हुआ है. मेरी डॉक्टर साहब से बात हुई. उन्होंने कहा कि अव्यवस्था के चलते ऐसा हुआ है, लेकिन जिनके साथ भी ऐसा हुआ है, उन्हें आप भेज दीजिए हम उन्हें वैक्सीन लगाएंगे.’’

अव्यवस्था के सवाल पर संजीत कहते हैं, ‘‘जब वैक्सीन लग रहा था तब वहां पर कुछ विवाद हो गया था. किसी ने पत्थर मार दिया. इससे वैक्सीन लगाने आई एक मैडम को चोट लग गई, इसके बाद कई लोग वहां से चले गए. जिनका नाम लिखा गया था, वो वहां थे नहीं. लेकिन कम्प्यूटर में नाम चढ़ गया था तो शायद इसी वजह से गड़बड़ी हुई हो. हालांकि डॉक्टर साहब कह रहे हैं कि इसमें कोई दिक्क्त नहीं है.’’

न्यूज़लॉन्ड्री ने इस गड़बड़ी को लेकर बलिया के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. तन्मय कक्कड़ से बात की. वो कहते हैं, ‘‘वैक्सीन नहीं लगी और मैसेज चला गया तो यह टेक्निकल गलती है. इस शिकायत को हम अपने टेक्निकल यूनिट को दे देंगे. टेक्निकल यूनिट लखनऊ बात करके इसको सुलझाएगा. अगर वैक्सीन नहीं लगा होगा तो लग जाएगा.’’

उत्तर प्रदेश में ऐसा पहली बार नहीं हुआ...

ऐसा नहीं है कि उत्तर प्रदेश में ऐसी घटना पहली बार सामने आई है. अमर उजाला वेबसाइट पर 24 जुलाई को ‘स्वास्थ्य विभाग का खेल, वैक्सीन लगी नहीं, मिल गया प्रमाण पत्र’ शीर्षक से इसी तरह की खबर छपी थी.

वाराणसी से छपी इस खबर के मुताबिक जिले में ऐसे कई लोग हैं जिन्होंने वैक्सीन के लिए स्लॉट बुक किया. नियत तिथि और समय पर वैक्सीन लगवाने जा रहे थे, लेकिन उससे पहले उनके मोबाइल पर वैक्सीन लगने का प्रमाण पत्र आ गया.

अमर उजाला ने ही प्रयागराज से 11 मई को इसी तरह की एक खबर प्रकाशित की थी जिसका शीर्षक ‘गजब : बगैर टीका लगे ही मिल गया सर्टिफिकेट’ था.

इन तमाम घटनाओं से सरकार के दावे पर प्रश्नचिन्ह खड़ा हो गया है. सरकार एक करोड़ का दावा करे, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री तीस लाख टीके का दावा करें और लोग कहें कि उन्हें बिना टीका के ही प्रमाणपत्र भेज दिया गया. यह सिर्फ एक ही बात का इशारा है कि सरकार काम में कम प्रचार में ज्यादा भरोसा रखती है.

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