एनएल चर्चा 177: पेगासस जासूसी और मीडिया संस्थानों पर आयकर विभाग की रेड

हिंदी पॉडकास्ट जहां हम हफ़्ते भर के बवालों और सवालों पर चर्चा करते हैं.

एनएल चर्चा
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एनएल चर्चा के 177वें अंक में पेगासस जासूसी, दैनिक भास्कर और समाचार भारत पर आयकर विभाग की रेड इस हफ्ते चर्चा के प्रमुख विषय रहे.

इस बार चर्चा में बतौर मेहमान वरिष्ठ पत्रकार स्वाति चतुर्वेदी शामिल हुईं. न्यूज़लॉन्ड्री के एसोसिएट एडिटर मेघनाद एस और सहसंपादक शार्दुल कात्यान भी चर्चा का हिस्सा रहे. संचालन न्यूज़लॉन्ड्री के कार्यकारी संपादक अतुल चौरसिया ने किया.

कार्यक्रम की शुरुआत मेघनाद ने हफ्ते के मुख्य समाचारों से की.

अतुल ने चर्चा की शुरुआत स्वाति से पेगासस जासूसी मामले में उनकी राय के साथ की.

स्वाति कहती हैं, "मुझे पूरा विश्वास है कि मेरे पुराने मोबाइल में कुछ गड़बड़ थी. मैं खोजी पत्रकार हूं. इस से सरकार को कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए. लेकिन सरकार पत्रकारों को आतंकवादी बना देती है. कंपनी खुद कहती है कि पेगासस स्पाइवेयर आतंकवादियों पर नज़र रखने के लिए इस्तेमाल होता है. क्या मैं और अन्य पत्रकार जिनके फ़ोन टेप हुए आतंकवादी हैं? हम अपना लोकतंत्र खो रहे हैं. आप चुनाव आयुक्त की जासूसी कर रहे थे. तो कैसे कह दें कि 2019 का चुनाव फ्री एंड फेयर था. सरकार मेरे पीछे पड़ गई है क्योंकि मैं अपना काम कर रही हूं."

अतुल आगे कहते हैं, "तथ्यों के सामने आने के बाद 'सर्विलांस स्टेट' कांसेप्ट की जो बात उठती है, क्या हम उस स्थिति में जी रहे हैं?"

वह कहती हैं, "बिग ब्रदर पहले केवल देखता था. अब बिग ब्रदर के पास ऐसे हथियार हैं कि वो मेरे लैपटॉप और फोन को मेरे खिलाफ इस्तेमाल कर रहा है. भीमा कोरेगांव का मामला देखें तो तीन फॉरेंसिक स्टडीज़ ने साबित किया है कि आरोपियों के लैपटॉप में मैलवेयर डाला गया था. अगर मेरे मोबाइल या लैपटॉप में मैलवेयर मिल जाता है मुझे आतंकवादी घोषित कर देते. इस तरह की साजिश बनाकर लोगों को जेल भेजना इस सरकार को बहुत पसंद है. अभी हमें पेगासस का पता चला है. क्या पता कुछ और भी यूज़ करते हों. यह स्पाइवेयर इतना महंगा है. 50 लोगों की निगरानी के लिए 8 मिलियन यूएस डॉलर लगते हैं. हम पर जासूसी करने के लिए यह हमारे टेक्स पेयर का खर्चा कर रहे हैं. यह बहुत दुख की बात है."

अतुल आगे पूछते हैं, "न्यूज़रूम की इंटीग्रिटी ख़त्म हो गई है. हर न्यूज़रूम में एक व्यक्ति के मोबाइल को हैक कर लिया, तो एक आदमी की गोपनीयता को करके आप पूरे न्यूज़रूम इंटीग्रिटी उसकी गोपनीयता , सुरक्षा सब ख़त्म हो जाती है. मीडिया को पूरी तरह से कॉम्प्रोमाइज करने के खतरे पर आप क्या सोचते हैं?"

इस पर मेघनाद कहते हैं, "स्वाति ने जैसा कहा यह एक फोन को हथियार बनाकर आपके खिलाफ इस्तेमाल किया जाता है. आप पैसा खर्च कर के आईफोन खरीदते हैं कोई और इस फोन को आपके खिलाफ यूज़ कर रहा है तो ये दरअसल गलत है. सरकार कहती है लीगल तरह से सर्विलांस करते हैं. जो एक्सट्रीम मामलों में आतंकवादियों की होती है या जब आपको ड्रग या आतंकवादी कार्टेल को बस्ट करना होता है. लेकिन अभी तक जो नाम आये हैं उस से पता चलता है कि जो पेगासस हमारी सुरक्षा के लिए इस्तेमाल होना चाहिए था वो किसी और काम के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं. सरकार मेरी निजी जिंदगी जानकर मुझे ब्लैकमेल भी तो कर सकती है."

स्वाति आगे जोड़ती हैं, "हमें एंटी- नेशनल करार दिया जाता है. संविधान हमें प्राइवेसी का अधिकार देता है. यह सरकार हमारे संविधान को रौंद रही है. मैंने राफेल के दौरान द वायर के लिए एक स्टोरी ब्रेक की थी. आलोक वर्मा को सैक किया गया था जब वो राफेल मामला देखने वाले थे. स्नूपिंग करते हुए उनके घर के बाहर चार आईबी के अफसर पकड़े गए. अब सोचिए मेरा फ़ोन उस दौरान हैक हो रहा था. अगर सरकार को पता चल जाए मेरे सोर्स कौन थे तो उनके साथ क्या करेंगे."

शार्दूल कहते हैं, "निजता को हमारे देश में कभी सामाजिक महत्तव नहीं दिया गया. कानून ऐसा चलता है कि जब तक आवश्यकता न हो आप किसी के जीवन में दखल न करें. चाहें वो सरकार हो या न्याय व्यवस्था हो. आप सबको दोषी मानकर नहीं चलते. आप सबको निर्दोष मानकर चलते हैं."

इस विषय के अलावा दैनिक भास्कर पर रेड पर भी विस्तार से बातचीत हुई. पूरी बातचीत सुनने के लिए इस पूरे पॉडकास्ट को जरूर सुनें और न्यूज़लॉन्ड्री को सब्सक्राइब करना न भूलें.

00:00- 2:02: इंट्रो
3:04- 8:00: इस हफ्ते की सुर्खियां

8:01- 50:04: पेगासस पर चर्चा

50:05- 1:01: दैनिक भास्कर रेड पर चर्चा

1::02- 1:09 क्या पढ़ें क्या देखें

पत्रकारों की राय, क्या देखा, पढ़ा और सुना जाए.

मेघनाद एस:

नेटफ्लिक्स सीरीज - हाउ टू बिकम ए टायरेंट

पेगासस मामले पर निधि सुरेश और सुप्रीति का न्यूज़लॉन्ड्री में प्रकाशित लेख

शार्दूल कात्यान:

एनएल टिपण्णी

पेगासस एक्सप्लेनेर

राहुल पंडिता की किताब द लवर बॉय ऑफ़ बहावलपुर

स्वाति चतुर्वेदी:

फिल्म- हज़ारों ख्वाइशें ऐसी

किताब- आई एम अ ट्रोल

अतुल चौरसिया:

किताब- आई एम अ ट्रोल

योगी सरकार द्वारा टीवी चैनलों को दिए विज्ञापन पर बसंत कुमार और आयुष तिवारी की रिपोर्ट

प्रोड्यूसर- लिपि वत्स

एडिटिंग - सतीश कुमार

ट्रांसक्राइब - शिवांगी सक्सेना

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