“शर्मनाक है कि कानून एजेंसियां ​​अब भी असंवैधानिक धारा 66ए का प्रयोग कर रही हैं"

2015 में सुप्रीम कोर्ट ने इस पर सुनवाई के दौरान कहा था कि ये धारा संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) यानी बोलने और अभिव्यक्ति की आजादी का हनन है.

Article image
  • Share this article on whatsapp

जिनके खिलाफ धारा 66ए के तहत की गई कार्रवाई

जाकिर अली त्यागी

मेरठ के पत्रकार और मानवाधिकार कार्यकर्ता 25 वर्षीय जाकिर अली त्यागी पर साल 2017 में उत्तर प्रदेश पुलिस ने धारा 66ए के तहत आपराधिक मामला दर्ज किया था. ज़ाकिर ने अपने फेसबुक पोस्ट में सीएम योगी आदित्यनाथ को निशाना बनाते हुए लिखा था- “योगी ने गोरखपुर में कहा था कि गुंडे बदमाश यूपी छोड़कर चले जाएं. मेरी क्या मजाल, कह सकूं कि योगी पर कुल 28 मुक़दमे दर्ज हैं जिनमें 22 बहुत गंभीर हैं.”

इस पोस्ट को लेकर यूपी पुलिस ने जाकिर पर मुकदमा दर्ज किया था. ज़ाकिर ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया, "मुझे बिना जानकारी दिए जेल में डाल दिया गया था. जब मैं जेल से बाहर आया तब पता चला कि मुझ पर 66ए लगाई गई है. इसके बाद मैंने प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी. तब पुलिस ने 66ए तो हटा लिया लेकिन उसी कानून की दूसरी धारा के तहत मामला बदलकर दर्ज कर लिया. साथ ही जमानत मिलने के बाद देशद्रोह का आरोप जोड़ दिया गया."

शमशाद पठान

अधिकतर मामलों में मीडिया या प्रशासनिक दबाव में पुलिस खत्म हो चुकी धारा 66ए के तहत दर्ज मामले को बदल देती है. अक्सर वो उसी क़ानून की दूसरी धारा के तहत केस दर्ज कर लेती है. साल 2018 में गायकवाड़ हवेली (अहमदाबाद) पुलिस ने वकील और सामाजिक कार्यकर्ता शमशाद पठान के साथ भी ऐसा ही किया. उन पर आईटी एक्ट 2008 के 66ए के तहत मामला दर्ज किया था. शमशाद पठान बताते हैं, "एक नाबालिग लड़की ने आत्महत्या कर ली थी क्योंकि एक आदमी उसे परेशान कर रहा था. पुलिस एफआईआर दर्ज नहीं कर रही थी. हमने थाने जाकर दबाव बनाया. उससे पहले भी पुलिस ने रेहड़ी वालों को परेशान किया था. हमने तब भी पुलिस से बात कर के रेहड़ीवालों को जगह दिलवाई थी. जिससे पुलिस इंस्पेक्टर वीजे राठौड़ के स्वाभिमान को ठेस पहुंची थी. वो सामाजिक कार्यकर्ताओं की आवाज़ को दबाने का मौका ढूंढ रहे थे. इसके लिए मुझ पर आईटी एक्ट 2008 का 66ए लगा दिया. ये मामला जब अखबार में उछला तब पुलिस ने 66ए हटाकर 66सी के अंतर्गत मामला दर्ज कर लिया. कोर्ट ने भी 66सी की वैधता पर पुलिस से जवाब मांगा. फिलहाल, मामला अदालत में लंबित है."

प्रशांत कनौजिया

अगस्त 2020 में सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर यूपी पुलिस ने पत्रकार से नेता बने प्रशांत कनौजिया को भी गिरफ्तार किया था. उनको अयोध्या में राम मंदिर से संबंधित एक नकली तस्वीर पोस्ट करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. प्रशांत के खिलाफ लखनऊ के हज़रतगंज थाने में एफआईआर दर्ज की गई थी.

इस एफआईआर में कुल नौ धाराओं सहित 66ए भी लगाया गया था. प्रशांत न्यूज़लॉन्ड्री से बातचीत में कहते है, "अगर 66ए की संविधानिक वैधता होती तो पुलिस ऐसे मामलों को अदालत में ले जाती. इनका मकसद पत्रकारों को फंसाकर रखना है. आज तक कोई सुनवाई नहीं हुई, ना ही चार्जशीट फाइल हुई."

अन्य पर दर्ज मामले

इसके अलावा कई कलाकारों, पत्रकारों और सोशल एक्टिविस्ट के खिलाफ भी 66ए के तहत केस दर्ज किया गया है. साल 2016 में राम गोपाल वर्मा के खिलाफ कोर्ट ने धारा 66ए के तहत दर्ज मामले में वारंट जारी किया था. फरवरी 2020 में असम में एक प्रोफेसर को बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ आपत्तिजनक पोस्ट को लेकर 66ए के तहत केस दर्ज किया गया.

मार्च 2020 में पटना हाईकोर्ट ने 6 महीने जेल में काटने के बाद धारा 66ए और अन्य धाराओं में जेल में बंद दो लोगों को जमानत दी थी. अप्रैल 2020 में सोनिया गांधी के खिलाफ भी आपत्तिजनक भाषा का उपयोग करने को लेकर पत्रकार अर्णब गोस्वामी के खिलाफ देश के अलग-अलग हिस्सों में कुल 16 केस दर्ज किए गए. उन मामलों धारा 66ए भी है. वहीं एक मामले में कर्नाटक हाईकोर्ट ने जनवरी 2020 में धारा 66ए के तहत केस दर्ज करने को लेकर दो पुलिसकर्मियों पर 10 हजार का जुर्माना लगाया था.

क्या कहती हैं श्रेया सिंघल

पेशे से वकील श्रेया सिंघल की याचिका पर ही 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की विवादास्पद धारा 66ए को हटाया था. कोर्ट ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन बताया था.

श्रेया कहती हैं, "मैं हैरान हूं वो पुलिस जो कानून की रक्षक और संचालक है वो 66ए का अब तक प्रयोग कर रही है. धारा को ख़त्म हुए छह साल बीत गए हैं. कानून की अज्ञानता किसी भी तरह से खुद को बचाने का ज़रिया नहीं बन सकती. सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस धारा पर रोक लगाने का मीडिया में काफी कवरेज भी हुआ था. यह शर्मनाक है अगर कानून एजेंसियां ​​अब भी असंवैधानिक करार दी गई धारा 66ए का प्रयोग कर रही हैं."

उन्होंने आगे कहा, "नवंबर 2012 में, दिवंगत बाल ठाकरे की मृत्यु के बाद शिवसेना द्वारा बुलाए गए बंद की आलोचना करते हुए अपने फेसबुक पेज पर एक पोस्ट करने को लेकर दो महिलाओं की गिरफ्तारी हुई थी. इसके बाद साल 2015 में कार्टूनिस्ट असीम त्रिवेदी की 66ए के तहत गिरफ्तारी की गई. देखते- देखते इस धारा का इस्तेमाल तमाम राजनीतिक दलों द्वारा किया जाने लगा. 66ए स्वतंत्र आवाज़ को दबाने का ज़रिया बना लिया गया जो असंवैधानिक है."

क्या है धारा 66ए जिसे सुप्रीम कोर्ट ने 2015 में रद्द कर दिया था

आईटी एक्ट, 2008 की धारा 66ए के तहत, सोशल मीडिया और ऑनलाइन माध्यम पर किए गए कोई भी कथित आपत्तिजनक टिप्पणी पर पुलिस गिरफ्तारी कर सकती थी. लेकिन इस कानून की परिभाषा स्पष्ट नहीं थी. कानून में 'आपत्तिजनक' का अर्थ कहीं नहीं लिखा गया था.

​2015 में सुप्रीम कोर्ट ने इस पर सुनवाई के दौरान कहा था कि ये धारा संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) यानी बोलने और अभिव्यक्ति की आजादी का हनन है. तब तत्कालीन जस्टिस जे चेलमेश्वर और जस्टिस रोहिंटन नारिमन की बेंच ने कहा था कि ये प्रावधान साफ तौर पर संविधान में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार को प्रभावित करता है. जिसके बाद मार्च 2015 में कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए इसे निरस्त कर दिया था.

***

अपडेट

(14 जुलाई को) केंद्र सरकार ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को निर्देश दिया है कि वे आईटी एक्ट की धारा 66ए के तहत दर्ज मामलों को तत्काल प्रभाव से वापस लें. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्यों से अनुरोध किया है कि वे सभी पुलिस स्टेशन को निर्देश दें कि आईटी एक्ट की निरस्त हो चुकी धारा 66ए के तहत कोई केस दर्ज ना करें.

***

(रिसर्च - रितिका चौहान)

Also see
article imageक्रांति का रंग लाल ही नहीं कभी-कभी नीला भी होता है
article imageएनएल इंटरव्यू: बद्री नारायण, उनकी किताब रिपब्लिक ऑफ हिंदुत्व और आरएसएस
subscription-appeal-image

Power NL-TNM Election Fund

General elections are around the corner, and Newslaundry and The News Minute have ambitious plans together to focus on the issues that really matter to the voter. From political funding to battleground states, media coverage to 10 years of Modi, choose a project you would like to support and power our journalism.

Ground reportage is central to public interest journalism. Only readers like you can make it possible. Will you?

Support now

You may also like