दैनिक भास्कर ने खुलासा किया है कि राजस्थान में कोरोना टीके की बर्बादी हो रही है.
सोमवार को दैनिक भास्कर अख़बार में राजस्थान से जुड़ी एक खबर छपी. खबर में बताया गया है कि राजस्थान में कोरोना टीके की बर्बादी हो रही है. भास्कर के रिपोर्टर को 35 सेंटरों के डस्टबिन से 500 से ज़्यादा वाइल बीन मिला.
भास्कर के इस खुलासे को प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर रघु शर्मा ने आधारहीन बताते हुए खबर लिखने वाले पत्रकार पर कई आरोप लगाए हैं. साथ ही कार्रवाई करने की भी बात की है. हालांकि अख़बार अपने खबर को सही बताते हुए रिपोर्टर के साथ खड़ा है.
वैक्सीन को लेकर राज्य सरकार और केंद्र सरकार हमेशा आमने सामने नजर आती है. राज्य सरकार जहां एक तरफ दावा करती है कि ज़रूरत के हिसाब से उन्हें वैक्सीन नहीं मिल रहा वहीं दूसरी तरफ राज्य में वैक्सीन के बर्बाद होने के मामले लगातार सामने आ रहे हैं. राजस्थान बीजेपी के अध्यक्ष सतीश पूनिया ने बीते दिनों आरोप लगाया था कि प्रदेश में 11 लाख डोज बर्बाद हो गए.
दैनिक भास्कर के संवाददाता आनंद चौधरी ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि राजस्थान के आठ जिलों जयपुर, अजमेर, टोंक, सवाई माधोपुर, बूंदी, दौसा, भरतपुर और करौली के वैक्सीनेशन सेंटरों पर टीको की बर्बादी हो रही है. भास्कर ने इन आठ जिलों के 35 स्वास्थ्य केंद्रों के डस्टबिन में वाइल खंगाले जिसमें 500 से ज्यादा वाइल मिले. इसमें से 20 से 75 प्रतिशत तक भरे थे.
भास्कर ने अपनी रिपोर्ट में पाया कि सबसे ज्यादा वैक्सीन की बर्बादी बूंदी जिले में 25 प्रतिशत और सबसे कम अजमेर जिले में 5 प्रतिशत हो रही है. डस्टबिन से बरामद इन वाइल में बैच नंबर और उसे लगाने की तारीख भी लिखी हुई है. यह सभी वाइल भास्कर ने राज्य सरकार को सौंपने की बात लिखी है.
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Contributeराजस्थान में टीके की बर्बादी..भास्कर संवाददाता आनंद चौधरी को कचरे में मिलीं 500 से ज्यादा वायल...!!! pic.twitter.com/WTmgVZ3MJM
— L.P. Pant (@pantlp) May 31, 2021
वैक्सीन बर्बाद करने के बीजेपी के आरोप को राज्य सरकार लगातार गलत बता रही थी, लेकिन भास्कर की रिपोर्ट से यह सामने आया कि ऐसा हो रहा है. इसके बाद राज्य सरकार के स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर रघु शर्मा ने कई ट्वीट करके इस रिपोर्ट को आधारहीन बताया.
शर्मा लिखते हैं, ‘‘दैनिक भास्कर अखबार में डस्टबिन में वैक्सीन मिलने की खबर पूर्णतः तथ्यों से परे एवं भ्रामक है. वैक्सीन वाइल्स का उपयोग करने के बाद इन्हें नियमानुसार सम्बंधित चिकित्सा संस्थान में ही जमा करवाया जाता है. इस खबर के लिए संबंधित पत्रकारों ने स्वयं को गलत तरीके से स्वास्थ्य विभाग, राजस्थान का उच्च अधिकारी एवं डब्ल्यूएचओ का प्रतिनिधि बताया एवं संबंधित कर्मचारियों पर दबाव डालकर उनसे इन वाइल्स को प्राप्त किया. यह वाइल्स किसी डस्टबिन में नहीं मिली हैं.’’
रघु शर्मा आगे लिखते हैं, ‘‘कोरोना वैक्सीन के हर डोज की पूरी जानकारी केन्द्र सरकार के CoWin / eVIN सॉफ्टवेयर पर दर्ज की जाती है. जिन वाइल्स के बारे में अखबार ने जानकारी दी है वह सभी सॉफ्टवेयर में दर्ज हैं और इन सभी वाइल्स का भारत सरकार के दिशा निर्देशानुसार समुचित उपयोग किया गया है. ऐसी झूठी अफवाह फैलाने एवं स्वयं की गलत पहचान बताने के लिए संबंधित व्यक्ति पर कार्रवाई की जाएगी. स्वास्थ्य विभाग ने उक्त अखबार के प्रबंधन को अपनी विस्तृत जांच रिपोर्ट उपलब्ध करवाकर उचित कार्रवाई के लिए अवगत कराया है.’’
दैनिक भास्कर अखबार में डस्टबिन में वैक्सीन मिलने की खबर पूर्णतः तथ्यों से परे एवं भ्रामक है। वैक्सीन वाइल्स का उपयोग करने के बाद इन्हें नियमानुसार सम्बंधित चिकित्सा संस्थान में ही जमा करवाया जाता है। (1/5)
— Dr. Raghu Sharma (@RaghusharmaINC) May 31, 2021
इसके बाद राज्य सरकार की तारीफ करते हुए मंत्री ने लिखा, ‘‘प्रदेश में 1.66 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगाई गई है. यहां 18-44 आयुवर्ग में जीरो वेस्टेज एवं 45 से अधिक आयुवर्ग में वैक्सीन का वेस्टेज 2% से कम हैं जो केन्द्र द्वारा अनुमत सीमा 10% व वैक्सीन वेस्टेज की राष्ट्रीय औसत 6% से बेहद कम है. राजस्थान वैक्सीनेशन में देशभर में अग्रणी है.’’
स्वास्थ्य मंत्री को जवाब देते हुए भास्कर के रिपोर्टर आनंद चौधरी ने लिखा, ‘‘चिकित्सा मंत्रीजी आपको खुली चुनौती है कि आप अपने दो सबसे काबिल अफसरों को मेरे साथ भेज दीजिए. मैं आपको टीके की बर्बादी का पूरे राजस्थान का सच सौंप दूंगा. अगर यह नहीं कर सकते तो बेवजह की बयानी बंद कीजिए. अभी तक आपने एक बार भी घर से बाहर निकलकर टीके का सच जाना क्या.’’
चिकित्सा मंत्रीजी आपको खुली चुनौती है कि आप अपने दो सबसे काबिल अफसरों को मेरे साथ भेज दीजिए। मैं आपको टीके की बर्बादी का पूरे राजस्थान का सच सौंप दूंगा। अगर यह नहीं कर सकते तो बेवजह की बयानी बंद कीजिए। अभी तक आपने एक बार भी घर से बाहर निकलकर टीके का सच जाना क्या@RaghusharmaINC
— Anand Choudhary (@Anand_DB) May 31, 2021
अपने एक और ट्वीट पर चौधरी लिखते हैं, ‘‘चिकित्सा मंत्रीजी बेहतर होता आप मुझे धमकाने की जगह इन सेंटर्स की ऑडिट करवाते. अगर यह काम भी नहीं करवा सकते तो कम से कम मेरे पास रखी 500 वायल के बैच नंबर और लगाने की तारीख के आधार पर ही जांच करवा लेते. मुझे पता है आप यह सब नहीं करवाएंगे.’’
स्वास्थ्य मंत्री का हास्यास्पद आरोप!
स्वास्थ्य मंत्री ने भास्कर की रिपोर्टिंग टीम पर राजस्थान का उच्च अधिकारी एवं डब्ल्यूएचओ का प्रतिनिधि बताकर वाइल हासिल करने का आरोप लगाया है.
हमने आनंद चौधरी से सवाल किया तो वे कहते हैं, ‘‘हमें अपना परिचय बदलने या किसी को धमकाने की ज़रूरत ही नहीं पड़ी. हम अस्पताल परिसर में रखे कागज के कूड़ेदान में फेंके गए वाइल उठाएं. हम दो लोग थे, मैं और मेरे फोटोग्राफर, हम किसी भी स्वास्थ्य केंद्र में जाकर वहां के कर्मचारियों से लड़ सकते है? हमें धमकाने की नौबत ही नहीं आई.’’
आनंद न्यूजलॉन्ड्री को बताते हैं, ‘‘इस रिपोर्ट को करने में तीन दिन लगे. 27, 28 और 29 मई को हम आठों जिले में जाकर वहां के टीका केंद्रों के डस्टबिन में पड़े वैक्सीन वायल उठाते रहे. उसमें कई फूटे हुए थे. हम जब कूड़ेदान से उठा रहे थे तो कई जगह हमसे वहां के कर्मचारियों ने पूछा की इसका क्या करोगे तो हमने बताया की कुछ नहीं बस बैच नंबर से मिलान करेंगे.’’
आनंद कहते हैं, ‘‘ बेहतर होता जो वायल हमारे पास पड़े है वो मंत्री लेकर जाते, उसका बैच नंबर और उनकी लगाने की तारीख के आधार पर जांच करते तो उनको सबकुछ पता चल जाता की कहां रखी गई थी. कैसे इन्हें एक दो डोज इस्तेमाल करके कबाड़ में फेंक दिया गया था. वैसे आज हम मंत्री के आरोप की कूड़ेदान से नहीं मिला वैक्सीन का जवाब छाप रहे है.’’
स्वास्थ्य मंत्री के आरोपों पर दैनिक भास्कर के राष्ट्रीय संपादक लक्ष्मी प्रसाद पंत न्यूजलॉन्ड्री से बात करते हुए कहते हैं, ‘‘हम अपने रिपोर्ट और रिपोर्टर दोनों के साथ खड़े है. हम जो भी रिपोर्ट करते है सबूतों के साथ करते है. हमारे पास रिकॉर्ड है, वैक्सीन है, सब कुछ हमारे पास है. सरकारें तो ऐसी ही बोलती है न. यह उनका पक्ष हो सकता है. लेकिन हमारी खबर पूरी तरह से सही है. मैंने उनको खुद बोला कि प्रूफ चाहिए तो वो हमसे ले जाओ और जांच करो. वैक्सीन की बर्बादी एक बड़ा मसला है. किस तरह से वैक्सीन की बर्बादी हो रही है आप कल्पना नहीं कर सकते. एक एक चिंताजनक खबर है.’’
न्यूज़लॉन्ड्री हिन्दी के साप्ताहिक संपादकीय, चुनिंदा बेहतरीन रिपोर्ट्स, टिप्पणियां और मीडिया की स्वस्थ आलोचनाएं.
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