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एनएल चर्चा का 165वां अंक विशेष रूप से चुनाव आयोग के ऊपर हाईकोर्ट की टिप्पणियों के इर्द गिर्द रहा. साथ ही देश में तेजी से बढ़ रहे कोरोना के मामले, 18 से ज्यादा उम्र के लोगों के लिए वैक्सीन ड्राइव, कई राज्यों में खत्म हुई कोरोना वैक्सीन और अमेरिका द्वारा भारत को दी गई राहत साम्रगी और वैक्सीन के लिए कच्चा माल भेजने की अनुमति जैसे विषयों का जिक्र हुआ.
इस बार चर्चा में एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म इंडिया के संस्थापक सदस्य प्रोफेसर जगदीप छोकर, न्यूज़लॉन्ड्री के एसोसिएट एडिटर मेघनाद एस और न्यूज़लॉन्ड्री के सह संपादक शार्दूल कात्यायन शामिल हुए. चर्चा का संचालन न्यूज़लॉन्ड्री के कार्यकारी संपादक अतुल चौरसिया ने किया.
चुनाव आयोग से जुड़े मामले पर अतुल ने जगदीप छोकर से पूछा, “जिस तरह से आयोग के अधिकारियों की आलोचना हो रही है कि वो राजनीति से प्रभावित होकर काम करते हैं और उनको रिटायरमेंट के बाद बड़ी पोस्ट का लालच देकर उनसे कथित तौर पर मनचाहे फैसले करवाए जाते हैं, उस पर आप क्या कहेंगे.”
इस प्रश्न का जवाब देते हुए जगदीप कहते हैं, “नैतिकता के आधार पर इन अधिकारियों को ऐसी पोस्ट नहीं लेनी चाहिए.” उन्होंने एक पूर्व सुप्रीम कोर्ट के जज की बात करते हुए कहा, “जस्टिस गोगोई से पहले एक भारत के एक मुख्य न्यायाधीश थे जिन्हें रिटायरमेंट के बाद एक राज्य का गवर्नर बनाया गया. जब वह मुख्य न्यायाधीश थे तब उन्होंने भारत के राष्ट्रपति को शपथ दिलाई थी. लेकिन कुछ महीने के बाद जब वह रिटायर होकर राज्यपाल बने तब उन्हें उस प्रदेश के हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने शपथ दिलाई. विडंबना देखिए, एक ओर आप राष्ट्रपति को शपथ दिलाते है और बाद में आप को एक राज्य के चीफ जस्टिस शपथ दिला रहे हैं.”
अतुल ने चर्चा की शुरुआत करते हुए जगदीप से सवाल पूछा, “कोरोना के दूसरी लहर के बावजूद भी बंगाल और अन्य राज्यों में चुनाव जारी रहे. उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव हुए जिसके कारण कई शिक्षकों की मौत हुई. क्या आयोग इसको रोक सकता था?”
जगदीप कहते हैं, “सबसे पहले मैं एक बात साफ करना चाहता हूं. जो विधानसभा और सांसद के चुनाव होते है उसकी जिम्मेदारी केंद्रीय चुनाव आयोग की होती है. पंचायत चुनाव, राज्य के चुनाव आयोग की जिम्मेदारी होती हैं. जो अपने आप में एक स्वतंत्र संस्था है.”
जगदीप आगे बताते हैं, “रही बात चुनाव की तो, दूसरी लहर आने से पहले ही चुनाव की तारीखों का ऐलान हो गया था. सवाल यह नहीं हैं कि चुनाव को रोका क्यों नहीं गया. सवाल ये है कि आपने बंगाल के चुनाव को 8 चरणों में क्यों कराया? उतने ही आकार के तमिलनाडु का चुनाव एक चरण में करवा दिया, लेकिन बंगाल में 8 चरण. कई तो ऐसे भी जिले थे जिनमें दो चरणों में चुनाव हुए. ऐसे में हम सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि ऐसा क्या बंगाल में था कि इतने चरण में चुनाव कराए गए. चुनाव आयोग की जो साख थी अब वह धीरे-धीरे खत्म होती जा रही है.”
अतुल ने मेघनाद से उनकी बंगाल की चुनावी कवरेज को लेकर सवाल किया और कहा कि अगर आप संक्षेप में बताएं कि वहां जिस तरह के हालात और नेताओं की मानसिकता थी उसके चलते हमें इस बदतर हालात में पहुंचना ही था? साथ ही वह वाकया भी बताएं जब आप आपने बीजेपी नेता और पूर्व पत्रकार स्वपन दासगुप्ता से कोविड को लेकर सवाल पूछा था.
इसका जवाब देते हुए मेघनाथ कहते हैं, “तारकेश्वर में पीएम मोदी की एक रैली हुई थी उस दौरान ही मैंने स्वपन दासगुप्ता का इंटरव्यू किया था. उस दौरान कोविड के एक सवाल पर उन्होंने गुस्से में कहा कि आपका यह नोबेल विचार गांवों में जाकर बोलिए. यहां कोई कोविड नहीं है. पूरे राज्य में लगातार भारी भीड़ जुट रही थी, पीएम समेत अन्य नेताओं ने अपनी रैलियां जारी रखी. कोरोना के बढ़ते केस के बाद भी चुनाव आयोग ने रैलियों पर बैन नहीं लगाया. आखिरी चरण से पहले जाकर आयोग ने कहा कि रैलियों में 500 से ज्यादा लोग नहीं आ सकते. तो सोचिए जब भारी भीड़ जुटाई जा रही थी तब आयोग ने कुछ नहीं किया, जब कोरोना का फैलाव हो रहा था तब उन्होंने कुछ नहीं किया फिर जब 7वां चरण आया तो आयोग ने कहा की आप इतनी भीड़ के साथ रैली नहीं कर सकते.”
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Contributeअतुल ने शार्दूल से अमित शाह और हेमंत बिस्वासर्मा के पॉलिटिकल क्लास की कोरोना की लापरवाही पर सवाल किया.
इस प्रश्न का जवाब देते हुए शार्दुल ने कहते हैं, “राजनीतिक दल क्या कर रहे हैं, वो सब हमारे सामने है. नेताओं के अंदर जनता के लिए कोई संवेदना नहीं है. सरकार के लोग जो संवैधानिक पद पर बैठे हैं वह आज झूठ बोल रहे है. यहां तक कि मंत्रियों ने तो अपने दल के लोगों तक का ख्याल नहीं रखा है.”
इस विषय के अलावा अन्य विषयों पर भी विस्तार से चर्चा हुई. पूरी बातचीत सुनने के लिए यह पॉडकास्ट सुनें और न्यूज़लॉन्ड्री को सब्सक्राइब करना न भूलें.
टाइम कोड
00:00 - इंट्रो
04:06 - हेडलाइन्स
17:29 - कोरोना के दूसरी लहर के दौरान चुनाव आयोग और राजनीतिक पार्टियां का रूख
34:01 - चुनाव आयोग को लेकर मद्रास हाईकोर्ट का बयान
52:00 - कोविड को लेकर भारतीय मीडिया की कवरेज
1:03:03 - सलाह और सुझाव
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