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एनएल चर्चा 164: ऑक्सीजन की किल्लत, दवाओं की जमाखोरी और सुप्रीम कोर्ट का सुओ-मोटो संज्ञान

हिंदी पॉडकास्ट जहां हम हफ़्ते भर के बवालों और सवालों पर चर्चा करते हैं.

     
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एनएल चर्चा का 164वां विशेष अंक देश में हाहाकार मचा रही कोविड की सेकेंड वेव पर केंद्रित रहा. देशभर में कोविड मरीजों की संख्या और उससे हो रही मौतों ने सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए है. महाराष्ट्र के नासिक में ऑक्सीजन प्लांट में लीक होने से 22 लोगों की मौत, ऑक्सीजन पहुंचाने के लिए रेलवे से लेकर वायुसेना के विमानों के उपयोग, स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन का मनमोहन सिंह को लिखा गया पत्र, एक मई से 18 साल के ऊपर सभी लोगों को लगेगा वैक्सीन, कोविड के लिए आवश्यक दवाओं की बीजेपी दफ्तर से वितरण समेत कई अन्य विषयों का जिक्र हुआ.

इस बार चर्चा में द हिंदू की डिप्टी एडिटर विजेता सिंह, मुंबई से द न्यू इंडियन एक्सप्रेस के असिस्टेंट एडिटर सुधीर सूर्यवंशी, न्यूज़लॉन्ड्री के एसोसिएट एडिटर मेघनाद एस और न्यूज़लॉन्ड्री के स्तंभकार आनंद वर्धन शामिल हुए. चर्चा का संचालन न्यूज़लॉन्ड्री के कार्यकारी संपादक अतुल चौरसिया ने किया.

अतुल ने बातचीत शुरू होने से पहले न्यूज़लॉन्ड्री के साथी आशीष येचुरी के निधन की दुख भरी खबर के बारे में पैनल और सभी श्रोताओं को जानकारी दी. उन्होंने बताया, “आशीष ने इसी साल जनवरी महीने में न्यूज़लॉन्ड्री ज्वाइन किया था. वह बहुत ही विनम्र और सरल स्वभाव के व्यक्ति थे. वह इतने साधारण तरीके से रहते थे हममें से ज्यादातर लोगों को पता ही नहीं था कि वे सीताराम येचुरी के बेटे हैं.”

बीजेपी नेताओं के दफ्तर से जरूरी दवाओं के वितरण के सवाल से चर्चा की शुरुआत करते हुए अतुल सुधीर पूछते है, “जब इन दवाओं का भंडारण और वितरण केंद्र सरकार की निगरानी में हो रहा है. तो फिर कैसे इन बीजेपी नेताओं के पास इतनी बड़ी मात्रा में रेमेडिसिविर या फैबीफ्लू जैसी दवाइयां उपलब्ध हो गई हैं. देवेंद्र फडणवीस रात को पुलिस द्वारा एक कंपनी के कर्मचारी से पूछताछ करने पर उससे लड़ने के लिए पहुंच जाते हैं. ऐसा वहां क्या हो रहा था कि इतनी रात को एक पूर्व मुख्यमंत्री और नेता विपक्ष को पुलिस स्टेशन जाना पड़ा. सवाल हैं कि रेमडिसिविर इंजेक्शन बीजेपी नेताओं को मिल रही है तो आम जनता को यह क्यों नहीं मिल पा रही है?”

इस प्रश्न का जवाब देते हुए सुधीर कहते है, “महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा रेमडिसिविर इंजेक्शन की किल्लत है. रेमडेसिविर इंजेक्शन कोरोना बीमारी के बचाने वाली दवाई तो नहीं है लेकिन इसके अलावा और कोई दवाई भी नहीं है. पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष जो एक कैबिनेट मंत्री के समान होता है, वह रात को एक पुलिस स्टेशन में एपीआई पर दबाव बना रहे हैं कि एक कंपनी के कर्मचारी को छोड़ा जाए यह बात अपने आप में सही नहीं लगती. जहां तक बात ब्रुक फार्मा की है, तो वह दीव और दमन की कंपनी है. केंद्र सरकार ने दीव और दमन को लेकर एक नोटिस जारी कर कहा था कि वहां की एक भी रेमडेसिविर इंजेक्शन बाहर नहीं जाना चाहिए. ऐसे में सवाल पैदा होता है कि वो इंजेक्शन महाराष्ट्र में कैसे पहुंचा, इसका जवाब देवेंद्र फडणवीस को देना चाहिए.”

वो आगे कहते हैं, “दूसरी बात गुजरात में सीआर पाटिल ने कुछ दिन पहले कहा कि मेरे ऑफिस से रेमडेसिविर इंजेक्शन ले लो. सवाल है कि जब यह दवा सरकारों को, दवाई के दुकानदारों और जनता को नहीं मिल पार रही हैं तो फिर यह कैसे बीजेपी नेताओं को मिल जा रही है? जलगांव में एक बीजेपी के पूर्व एमपी ने रात में करीब 20 हजार इंजेक्शन लोगों को ज्यादा दाम पर बेच दिए वो भी ब्रुक फार्म के ही इंजेक्शन थे. तो कहीं ना कहीं जनता में अराजकता फैल रही हैं जो इंजेक्शन कहीं नहीं मिल रहे हैं वह कैसे बीजेपी नेताओं के पास से मिल रहे है.”

अतुल ने आनंद से सवाल करते हुए पूछा, “यह जो दवाएं बीजेपी नेताओं को मिल रही हैं यह क्या राजनीति के कारण हो रहा हैं, क्योंकि इन दवाओं पर तो केंद्र सरकार की निगरानी है. क्या गैर बीजेपी राज्यों में इन दवाओं की जानबूझ कर कमी कर दी गई है.”

आनंद जवाब देते हुए कहते हैं, “अभी मैं इसके बारे में कुछ भी कहने से बचूंगा, क्योंकि दवाओं की कमी को लेकर हर प्रदेश और जिले की अलग कहानी है, इसलिए यह कहना कि गैर बीजेपी राज्यों में दवाओं की कमी जानबूझ कर की जा रही हैं यह ठीक नहीं है, मुझे इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है.”

अतुल फिर से आनंद से सवाल करते हैं कि जब कोई दवा बाजार में उपलब्ध नहीं है और वह बीजेपी नेता के दफ्तर पर उपलब्ध हैं और वह वहां से लोगों को दे रहा हैं तो ऐसे मामले में आप क्या कहेंगे.

आनंद कहते हैं, “रेण्डम ऐसे मामले हो सकते है लेकिन देशभर में इस तरह का कोई ट्रेंड चल रहा हैं, यह मैं नहीं मानता.”

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इस विषय पर विजेता कहती हैं, “अभी हमारा देश जुगाड़ पर चल रहा है. ट्वीटर पर जुगाड़ चल रहा है, कोई सोर्स लगा रहा है तो उसे बेड मिल रहा है या रेमडेसिविर इंजेक्शन मिल रहा है. एक साल हो गए इस महामारी को लेकिन सरकार की कोई तैयारी नहीं दिख रही है. पूरा देश ट्विटर और व्हाट्सएप से मदद मांग रहा है. तो आप समझ लीजिए कि, देश में किस तरह के हालात हैं.”

इसी विषय पर मेघनाथ कहते हैं, “जब हम लोग ही एक दूसरे की मदद कर रहे है तो सरकार है ही क्यों यह सवाल उठ खड़ा हुआ है. अगर गौतम गंभीर के पास फैबी फ्लू दवा है तो वह अस्पताल में उसे उपलब्ध करा दें ताकि लोगों की दवा मिल सके, उन्हें यहां-वहां भागना ना पड़े. दूसरा सवाल हैं कि कैसे इस दवा का स्टॉक उनके पास है जबकि मार्केट में यह दवा नहीं मिल रही है. ऐसे बहुत से लोग हैं जो डर के कारण दवाओं को स्टॉक करने लगे हैं, तो आप जो दवा दे रहे हैं, वह कितने जरुरमंद लोगों तक पहुंच रही है यह बहुत अहम सवाल है.”

इस विषय के अलावा अन्य विषयों पर भी विस्तार से चर्चा हुई. पूरी बातचीत सुनने के लिए यह पॉडकास्ट सुनें और न्यूज़लॉन्ड्री को सब्सक्राइब करना न भूलें.

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