हिंदी पॉडकास्ट जहां हम हफ़्ते भर के बवालों और सवालों पर चर्चा करते हैं.
एनएल चर्चा का 163वां अंक कोरोना वायरस के देश भर में बढ़ते मामलों पर केंद्रित रहा. लेकिन हमने इस बार गुजरात के हालात पर विशेष चर्चा की. गुजरात में कोरोना की बदइंतजामी की राष्ट्रीय मीडिया द्वारा अनदेखी को खासतौर पर चिन्हित करते हुए इस बार की चर्चा संपन्न हुई. इसके साथ सीबीएसई, राज्य बोर्ड समेत रद्द हुई अन्य प्रतियोगी परीक्षाएं, बढ़ते कोरोना मामलों और साधुओं की कोविड से हो रही मौत, कुंभ मेला और रूस की स्पूतनिक वैक्सीन को भारत में मिली इजाजत जैसे कई अन्य विषयों का जिक्र हुआ.
इस बार चर्चा में मुंबई से स्क्रॉल डॉट इन की सीनियर रिपोर्टर आरिफा जौहरी, अहमदाबाद से द हिंदू के सीनियर असिस्टेंट एडिटर महेश लांगा और न्यूज़लॉन्ड्री के एसोसिएट एडिटर मेघनाद एस शामिल हुए. चर्चा का संचालन न्यूज़लॉन्ड्री के कार्यकारी संपादक अतुल चौरसिया ने किया.
अतुल ने कोरोना के बढ़ते मामलों से चर्चा की शुरुआत की. अतुल कहते हैं, “देशभर में कोरोना के मामले बढ़ रहे है. इस पूरे भयावह दृश्य में राष्ट्रीय मीडिया को देखें तो सिर्फ महाराष्ट्र और मुंबई के बुरे हालात की चर्चा चल रही है. जबकि गुजरात के कुछ जिलों से जो वीडियो सामने आ रहे हैं वह बहुत डरावने है. ऑक्सीजन नहीं मिल पा रहा है, सड़क पर लोगों की मौत हो जा रही है. देश भर में गुजरात मॉडल की चर्चा की जाती रही है, लेकिन सच्चाई हमारे सामने दिख रही है. कई रिपोर्टें आई हैं जिनमें बताया जा रहा है कि गुजरात के आदिवासी जिलों में आरटी-पीसीआर टेस्ट तक की सुविधा नहीं हैं.”
इस पर महेश कहते हैं, “गुजरात में हालात बहुत खराब हैं. मुंबई, दिल्ली की चर्चा देश भर में हो रही है लेकिन अहमदाबाद और सूरत की बात उतनी नहीं हो रही है. एक बात यह भी हैं कि मुंबई और दिल्ली तुलना में यहां केस उतने नहीं है लेकिन यहां डेथ रेट ज्यादा है. सूरत में नगर निगम ने 10 साल पहले जिन शमशान घाटों को बंद कर दिया था, अब उन्हें वापस खोल दिया है इसका मतलब आप समझ सकते है वहां कितनी मौतें हो रही हैं. गुजरात के इन दोनों शहरों की खबरें तो आ जाती हैं मीडिया में लेकिन जो पिछड़े इलाके हैं वहां की खबर नेशनल क्या स्टेट मीडिया में भी नहीं आ पाती है.”
इस मुद्दे को आगे बढ़ाते हुए आरिफा कहती हैं, “कुछ दिन पहले की अगर बात करें तो गुजरात में कोरोना मामलों की बात कही थी ही नहीं. ना ही नेशनल मीडिया में और ना ही वहां की लोकल मीडिया में. गुजराती मीडिया को हमने इतने कभी देखा ही नहीं कि वह सरकार से खुलकर सवाल करे लेकिन कोविड के पूरे मामले को सभी मीडिया ने एक साथ उठाया है. सरकार मौत के आंकड़े को लगातार छुपा रही थी लेकिन जब मौतें बढ़ने लगी, शमशान घाट और कब्रिस्तान पर लाशों का आंकड़ा बढ़ने लगा तो मीडिया ने उसे जोरदार तरीके से उठाया, सरकार से कड़े सवाल पूछना शुरू किया जिसके कारण अब गुजरात के कोरोना मामलों की बात नेशनल मीडिया में होने लगी है.”
अतुल ने मेघनाथ से गुजरात और मध्य प्रदेश के हालात पर सवाल किया. उन्होंने कहा, “जिस तरह से शिवराज सिंह चौहान बयानबाजी कर रहे हैं कि कोरोना संदिग्ध की वजह से आंकड़े इतने दिख रहे होंगे, क्या आप को लगता है सरकार सिर्फ एक भ्रामक जुमलेबाजी कर रही है अपनी नाकामी को छुपाने के लिए. या तो कोरोना पॉजिटिव होता है या फिर निगेटिव. ये एक नई परिभाषा लेकर आए हैं कोरोना संदिग्ध. यह क्या है?”
The media must be free and fair, uninfluenced by corporate or state interests. That's why you, the public, need to pay to keep news free.
Contributeमेघनाथ कहते हैं, “भोपाल में कोरोना से हुई मौतों को लेकर दैनिक भास्कर ने पहले पन्ने पर खबर छापी है. उस खबर की फोटो काफी डरावनी है क्योंकि उसमें हर जगह जलती हुई लाशें दिख रही है. गुजरात और मध्यप्रदेश दोनों ही आंकड़े छुपा रहे है लेकिन रिपोर्टर शमशान घाट के बाहर खड़े होकर, अपनी जान जोखिम में डालकर लाशों को गिन रहे है ताकि सरकार जो मौत के आंकड़ों को लेकर झूठ बोल रही हैं उसकी सच्चाई समाने ला सकें.”
इस विषय के अलावा अन्य विषयों पर भी विस्तार से चर्चा हुई. पूरी बातचीत सुनने के लिए यह पॉडकास्ट सुनें और न्यूज़लॉन्ड्री को सब्सक्राइब करना न भूलें.
पत्रकारों की राय, क्या देखा, पढ़ा और सुना जाए.
महेश लांगा
अनंत कृष्णन की किताब - इंडियाज़ चाइना चैलेंज
आरिफा जौहरी
स्क्रॉल पर प्रकाशित अरुणभ सैकिया का कुंभ मेले पर प्रकाशित लेख
मेघनाद एस
ईविल जीनियस - नेटफ्लिक्स डॉक्यूमेंट्री
नाइट स्टाकर - अमेजन डॉक्यूमेंट्री
न्यूज़लॉन्ड्री पर प्रकाशित अभिनेता पंकज त्रिपाठी का इंटरव्यू
अतुल चौरसिया
न्यूज़लॉन्ड्री की नई हिंदी वेबसाइट को लेकर अपने सुझाव और सलाह दें
द मैन विथ आयरन हार्ट - अमेजन प्राइम
रवींद्र कालिया की आत्मकथा: ग़ालिब छूटी शराब
***
प्रोड्यूसर- लिपि वत्स
रिकॉर्डिंग - अनिल कुमार
एडिटिंग - सतीश कुमार
ट्रांसक्राइब - अश्वनी कुमार सिंह.
General elections are around the corner, and Newslaundry and The News Minute have ambitious plans together to focus on the issues that really matter to the voter. From political funding to battleground states, media coverage to 10 years of Modi, choose a project you would like to support and power our journalism.
Ground reportage is central to public interest journalism. Only readers like you can make it possible. Will you?