एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने न्यू मीडिया गाइडलाइन पर जताई अपनी चिंता

एडिटर्स गिल्ड ने कहा नए प्रावधान “डिजिटल समाचार मीडिया पर अनुचित प्रतिबंध लगा सकते हैं.”

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संपादकों की शीर्ष संस्था एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (ईजीआई) ने केंद्र सरकार द्वारा जारी नए डिजिटल मीडिया गाइडलाइन को लेकर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए एक बयान जारी किया है.

गिल्ड ने कहा कि वह इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी (इंटरमीडियरी गाइडलाइंस और डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड) रूल्स 2021 को लेकर चिंतित है क्योंकि यह "मौलिक रूप से इंटरनेट पर काम करने वाले समाचार प्रकाशकों को प्रभावित करते है और भारत में मीडिया की स्वतंत्रता को गंभीरता से कम करने की क्षमता रखते हैं.”

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गिल्ड ने आगे कहा कि नए नियम केंद्र सरकार को “न्यायिक निगरानी के बिना देश में कहीं भी प्रकाशित समाचार को ब्लॉक, डिलीट या संशोधित करने” की अनुमति देते हैं. यह नए प्रावधान “डिजिटल समाचार मीडिया पर अनुचित प्रतिबंध लगा सकते हैं.”

इन गाइडलाइन पर गिल्ड ने कहा कि सरकार ने नियमों को अधिसूचित करने से पहले उसके तमाम हिस्सेदारों के साथ परामर्श नहीं किया. बता दें कि इससे पहले डिजीपब न्यूज़ इंडिया फ़ाउंडेशन ने भी डिजिटल मीडिया के लिए जारी इन गाइडलाइन्स को लेकर केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद और सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावेडकर को पत्र लिखकर अपनी चिताएं जाहिर की है.

डिजीपब ने अपने पत्र में भी कहा था कि नए गाइडलाइन्स “लोकतंत्र में पत्रकारिता के मूल सिद्धांत और उसकी भूमिका के खिलाफ जाते हैं.” साथ ही इस गाइडलाइन्स को लेकर तमाम हिस्सेदारों से बातचीत करने को कहा था.

गौरतलब हैं कि इन नए नियमों का दुरुपयोग मणिपुर में देखने को मिला था. जहां एक पत्रकार को जिला प्रशासन ने पत्र लिखकर कहा था कि वह “उन मानदंडों को साबित करें जो वेब पत्रकारों के लिए तय किए गए हैं.” हालांकि बाद में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव द्वारा पत्र लिखकर नाराजगी जाहिर करने पर प्रशासन ने अपना ऑर्डर वापस ले लिया था.

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव अमित खरे ने मणिपुर के मुख्य सचिव को लिखे उस पत्रकार ने साफ कर दिया था कि डिजिटल मीडिया कानून के तहत राज्य सरकारें नोटिस जारी नहीं कर सकती हैं. नोटिस जारी करने का अधिकार सिर्फ केंद्र सरकार के पास है.

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गिल्ड ने आगे कहा कि नए नियम केंद्र सरकार को “न्यायिक निगरानी के बिना देश में कहीं भी प्रकाशित समाचार को ब्लॉक, डिलीट या संशोधित करने” की अनुमति देते हैं. यह नए प्रावधान “डिजिटल समाचार मीडिया पर अनुचित प्रतिबंध लगा सकते हैं.”

इन गाइडलाइन पर गिल्ड ने कहा कि सरकार ने नियमों को अधिसूचित करने से पहले उसके तमाम हिस्सेदारों के साथ परामर्श नहीं किया. बता दें कि इससे पहले डिजीपब न्यूज़ इंडिया फ़ाउंडेशन ने भी डिजिटल मीडिया के लिए जारी इन गाइडलाइन्स को लेकर केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद और सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावेडकर को पत्र लिखकर अपनी चिताएं जाहिर की है.

डिजीपब ने अपने पत्र में भी कहा था कि नए गाइडलाइन्स “लोकतंत्र में पत्रकारिता के मूल सिद्धांत और उसकी भूमिका के खिलाफ जाते हैं.” साथ ही इस गाइडलाइन्स को लेकर तमाम हिस्सेदारों से बातचीत करने को कहा था.

गौरतलब हैं कि इन नए नियमों का दुरुपयोग मणिपुर में देखने को मिला था. जहां एक पत्रकार को जिला प्रशासन ने पत्र लिखकर कहा था कि वह “उन मानदंडों को साबित करें जो वेब पत्रकारों के लिए तय किए गए हैं.” हालांकि बाद में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव द्वारा पत्र लिखकर नाराजगी जाहिर करने पर प्रशासन ने अपना ऑर्डर वापस ले लिया था.

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव अमित खरे ने मणिपुर के मुख्य सचिव को लिखे उस पत्रकार ने साफ कर दिया था कि डिजिटल मीडिया कानून के तहत राज्य सरकारें नोटिस जारी नहीं कर सकती हैं. नोटिस जारी करने का अधिकार सिर्फ केंद्र सरकार के पास है.

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