किसान आंदोलन: देशी-विदेशी सेलिब्रिटी आज कटघरे में खड़े किये जा रहे हैं लेकिन यह परंपरा पुरानी है

आज जब किसान आंदोलन का समर्थन करने और आंदोलन के प्रति सरकार के रवैये की आलोचना करने की वजह से देशी-विदेशी सेलिब्रिटी कटघरे में खड़े किये जा रहे हैं, तब उस शानदार परंपरा के कुछ पन्नों को देखा जाना चाहिए.

WrittenBy:प्रकाश के रे
Date:
Article image
  • Share this article on whatsapp

जॉर्ज हैरिसन और पंडित रविशंकर ने पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में पाकिस्तानी सेना के दमन और जनसंहार के बारे में दुनिया को बताने तथा पीड़ितों के लिए धन जुटाने के इरादे से 1971 में न्यूयॉर्क में एक बड़ा संगीत कार्यक्रम आयोजित किया था. तब इतने बड़े स्तर पर मानवीय चिंता के लिए आयोजित होने वाला यह सबसे बड़ा कार्यक्रम था. जॉर्ज हैरिसन पहले बेहद लोकप्रिय संगीत समूह बीटल्स में थे और पंडित रविशंकर भारतीय सितारवादक थे. उस आयोजन में मूर्धन्य कलाकार अली अकबर खान, बीटल्स के पूर्व सदस्य रिंगो स्टार, बाद में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित बॉब डिलन आदि अनेक बड़े कलाकार शामिल हुए थे.

इस सिलसिले में महान क्रिकेटर सर डॉन ब्रैडमैन को ज़रूर याद किया जाना चाहिए. ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट बोर्ड के प्रमुख के रूप में वे 1971 में दक्षिण अफ़्रीका गये थे और नाज़ीवाद के समर्थक व अश्वेत अफ़्रीकियों को दोयम दर्जे का माननेवाले तत्कालीन प्रधानमंत्री जॉन वोर्स्टर से मिले थे. उस मुलाक़ात में उन्होंने दक्षिण अफ़्रीकी टीम में अश्वेतों को शामिल करने को कहा. वोर्स्टर की बकवास सुनकर चिढ़े ब्रैडमैन ने घोषणा कर दी कि जब तक मिश्रित टीम नहीं बनेगी, ऑस्ट्रेलिया की टीम दक्षिण अफ़्रीका नहीं जायेगी. इस फ़ैसले से अनेक खिलाड़ियों का करियर बर्बाद हुआ और ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट बोर्ड को भारी आर्थिक नुक़सान हुआ था. दोनों देशों में मैच 1993 में शुरू हो सके थे. अप्रैल, 1986 में ऑस्ट्रेलिया के पूर्व प्रधानमंत्री मैल्कम फ़्रेज़र समेत कुछ गणमान्य लोग जेल में सालों से बंद नेल्सन मंडेला से मिलने गये थे. मंडेला ने फ़्रेज़र से पहला सवाल यही पूछा था- ‘क्या डॉन ब्रैडमैन अभी जीवित हैं?’

साल 1983 में 60 अमेरिकी कलाकारों और खिलाड़ियों ने एक अभियान चलाया था, जिसमें दक्षिण अफ़्रीका में होने वाले कार्यक्रमों का बहिष्कार किया गया था. इसमें हैरी बेलाफ़ोंट, पॉल न्यूमैन, जेन फ़ोंडा, मोहम्मद अली, टोनी बेनेट जैसे लोग शामिल थे. इस अभियान ने हज़ारों कलाकारों और खिलाड़ियों को बहिष्कार से जोड़ा था. उस समय दक्षिण अफ़्रीका में रंगभेदी शासन था, जिसे अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों का समर्थन था. अपने शासन के प्रति अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सकारात्मक माहौल बनाने के लिए रंगभेदी सरकार खिलाड़ियों और कलाकारों को बहुत पैसा बांटती थी. लेकिन नैतिक आग्रहों के लिए बहिष्कार करने वालों ने नुकसान को चुना.

साल 2014 में हॉलीवुड के कई सितारों ने ग़ाज़ा में जनसंहार के ख़िलाफ़ बोला था. इनमें रिहाना, जोनाथन डेम, सेलेना गोमेज़, पेनेलोप क्रुज़, मार्क राफ़ालो, वालेस शॉन, रोजर वाटर्स, जोन स्टीवार्ट आदि शामिल थे. फ़ुटबॉल खिलाड़ी क्रिस्तियानो रोनाल्डो व एरिक कैंटोना, ब्रिटिश गायक ज़ायन मलिक, अमेरिकी गायक लुप फ़ियास्को, व्हूपी गोल्डबर्ग, रॉब शेनाइडर, गीगी हदीद, मॉर्गन फ़्रीमैन आदि भी समय-समय पर फ़िलीस्तीन के पक्ष में बोलते रहे हैं. हाल में दिवंगत विख्यात खिलाड़ी डीएगो माराडोना क्यूबा और वेनेज़ुएला पर अमेरिका और यूरोपीय देशों की पाबंदियों के विरुद्ध तथा फ़िलीस्तीन के अधिकारों की लगातार पैरोकारी करते थे. मैट डेमन, जॉर्ज क्लूनी, अफ़्रीका में जनसंहारों की ओर दुनिया का ध्यान आकर्षित करने का लगातार प्रयास करते रहे हैं.

ये कुछ उदाहरण हैं. सूची और विवरण का आकार बहुत व्यापक और प्रेरणादायी है. ये सिलेब्रिटी अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा दान में भी देते हैं तथा विभिन्न सामाजिक और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर भी सक्रिय रहते हैं. अक्सर उनकी सक्रियता अपने देश तक सीमित नहीं रहती. माइकल जैक्सन इसकी बड़ी मिसाल हैं.

बहरहाल, इस चर्चा को 1968 के ओलम्पिक की उस घटना से समाप्त करते हैं, जो इस आयोजन के इतिहास की सबसे बड़ी राजनीतिक घटना थी. मैक्सिको सिटी में आयोजित ओलंपिक्स में 200 मीटर दौड़ में जीते अमेरिकी एथलीट टॉमी स्मिथ और जॉन कार्लोस ने पदक लेते हुए अमेरिकी राष्ट्रगान के बजाने की अवधि तक अपना एक हाथ उठाये रखा था. इन दोनों ने काले दस्ताने पहने हुए थे. दूसरे स्थान पर आये ऑस्ट्रेलिया के पीटर नॉरमैन समेत तीनों ने मानवाधिकार के बैज भी लगाया हुआ था. नॉरमैन अपने देश की पूर्ववर्ती श्वेत ऑस्ट्रेलिया नीति के आलोचक थे. इन्होंने ही दोनों साथी खिलाड़ियों को कहा था कि दो दस्ताने को वे एक-एक हाथ में पहन लें. एक खिलाड़ी दस्ताने लाना भूल गया था. अमेरिकी खिलाड़ियों ने इस अवसर पर जूते न पहनकर काले रंग के मोज़े पहने थे, जो अश्वेत अमेरिकियों की ग़रीबी का प्रतीक था. स्मिथ ने काला स्कार्फ़ अश्वेत गर्व को इंगित करने के लिए पहना था, तो कार्लोस ने अपनी जैकेट की ज़िप खुली रखकर अमेरिकी कामगारों को रेखांकित किया था. उन्होंने एक माला भी पहनी थी, जो भीड़ द्वारा मारे गये, हत्या के पीड़ितों तथा अनाम मृतकों को समर्पित था. जॉन डॉमिनिस का वह चित्र ऐतिहासिक है. बाद में अपनी किताब में स्मिथ ने लिखा कि उनका दस्ताना पहने मुट्ठी तानना अश्वेत शक्ति का नहीं, बल्कि मानवाधिकार का सैल्यूट था.

जॉर्ज हैरिसन और पंडित रविशंकर ने पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में पाकिस्तानी सेना के दमन और जनसंहार के बारे में दुनिया को बताने तथा पीड़ितों के लिए धन जुटाने के इरादे से 1971 में न्यूयॉर्क में एक बड़ा संगीत कार्यक्रम आयोजित किया था. तब इतने बड़े स्तर पर मानवीय चिंता के लिए आयोजित होने वाला यह सबसे बड़ा कार्यक्रम था. जॉर्ज हैरिसन पहले बेहद लोकप्रिय संगीत समूह बीटल्स में थे और पंडित रविशंकर भारतीय सितारवादक थे. उस आयोजन में मूर्धन्य कलाकार अली अकबर खान, बीटल्स के पूर्व सदस्य रिंगो स्टार, बाद में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित बॉब डिलन आदि अनेक बड़े कलाकार शामिल हुए थे.

इस सिलसिले में महान क्रिकेटर सर डॉन ब्रैडमैन को ज़रूर याद किया जाना चाहिए. ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट बोर्ड के प्रमुख के रूप में वे 1971 में दक्षिण अफ़्रीका गये थे और नाज़ीवाद के समर्थक व अश्वेत अफ़्रीकियों को दोयम दर्जे का माननेवाले तत्कालीन प्रधानमंत्री जॉन वोर्स्टर से मिले थे. उस मुलाक़ात में उन्होंने दक्षिण अफ़्रीकी टीम में अश्वेतों को शामिल करने को कहा. वोर्स्टर की बकवास सुनकर चिढ़े ब्रैडमैन ने घोषणा कर दी कि जब तक मिश्रित टीम नहीं बनेगी, ऑस्ट्रेलिया की टीम दक्षिण अफ़्रीका नहीं जायेगी. इस फ़ैसले से अनेक खिलाड़ियों का करियर बर्बाद हुआ और ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट बोर्ड को भारी आर्थिक नुक़सान हुआ था. दोनों देशों में मैच 1993 में शुरू हो सके थे. अप्रैल, 1986 में ऑस्ट्रेलिया के पूर्व प्रधानमंत्री मैल्कम फ़्रेज़र समेत कुछ गणमान्य लोग जेल में सालों से बंद नेल्सन मंडेला से मिलने गये थे. मंडेला ने फ़्रेज़र से पहला सवाल यही पूछा था- ‘क्या डॉन ब्रैडमैन अभी जीवित हैं?’

साल 1983 में 60 अमेरिकी कलाकारों और खिलाड़ियों ने एक अभियान चलाया था, जिसमें दक्षिण अफ़्रीका में होने वाले कार्यक्रमों का बहिष्कार किया गया था. इसमें हैरी बेलाफ़ोंट, पॉल न्यूमैन, जेन फ़ोंडा, मोहम्मद अली, टोनी बेनेट जैसे लोग शामिल थे. इस अभियान ने हज़ारों कलाकारों और खिलाड़ियों को बहिष्कार से जोड़ा था. उस समय दक्षिण अफ़्रीका में रंगभेदी शासन था, जिसे अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों का समर्थन था. अपने शासन के प्रति अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सकारात्मक माहौल बनाने के लिए रंगभेदी सरकार खिलाड़ियों और कलाकारों को बहुत पैसा बांटती थी. लेकिन नैतिक आग्रहों के लिए बहिष्कार करने वालों ने नुकसान को चुना.

साल 2014 में हॉलीवुड के कई सितारों ने ग़ाज़ा में जनसंहार के ख़िलाफ़ बोला था. इनमें रिहाना, जोनाथन डेम, सेलेना गोमेज़, पेनेलोप क्रुज़, मार्क राफ़ालो, वालेस शॉन, रोजर वाटर्स, जोन स्टीवार्ट आदि शामिल थे. फ़ुटबॉल खिलाड़ी क्रिस्तियानो रोनाल्डो व एरिक कैंटोना, ब्रिटिश गायक ज़ायन मलिक, अमेरिकी गायक लुप फ़ियास्को, व्हूपी गोल्डबर्ग, रॉब शेनाइडर, गीगी हदीद, मॉर्गन फ़्रीमैन आदि भी समय-समय पर फ़िलीस्तीन के पक्ष में बोलते रहे हैं. हाल में दिवंगत विख्यात खिलाड़ी डीएगो माराडोना क्यूबा और वेनेज़ुएला पर अमेरिका और यूरोपीय देशों की पाबंदियों के विरुद्ध तथा फ़िलीस्तीन के अधिकारों की लगातार पैरोकारी करते थे. मैट डेमन, जॉर्ज क्लूनी, अफ़्रीका में जनसंहारों की ओर दुनिया का ध्यान आकर्षित करने का लगातार प्रयास करते रहे हैं.

ये कुछ उदाहरण हैं. सूची और विवरण का आकार बहुत व्यापक और प्रेरणादायी है. ये सिलेब्रिटी अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा दान में भी देते हैं तथा विभिन्न सामाजिक और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर भी सक्रिय रहते हैं. अक्सर उनकी सक्रियता अपने देश तक सीमित नहीं रहती. माइकल जैक्सन इसकी बड़ी मिसाल हैं.

बहरहाल, इस चर्चा को 1968 के ओलम्पिक की उस घटना से समाप्त करते हैं, जो इस आयोजन के इतिहास की सबसे बड़ी राजनीतिक घटना थी. मैक्सिको सिटी में आयोजित ओलंपिक्स में 200 मीटर दौड़ में जीते अमेरिकी एथलीट टॉमी स्मिथ और जॉन कार्लोस ने पदक लेते हुए अमेरिकी राष्ट्रगान के बजाने की अवधि तक अपना एक हाथ उठाये रखा था. इन दोनों ने काले दस्ताने पहने हुए थे. दूसरे स्थान पर आये ऑस्ट्रेलिया के पीटर नॉरमैन समेत तीनों ने मानवाधिकार के बैज भी लगाया हुआ था. नॉरमैन अपने देश की पूर्ववर्ती श्वेत ऑस्ट्रेलिया नीति के आलोचक थे. इन्होंने ही दोनों साथी खिलाड़ियों को कहा था कि दो दस्ताने को वे एक-एक हाथ में पहन लें. एक खिलाड़ी दस्ताने लाना भूल गया था. अमेरिकी खिलाड़ियों ने इस अवसर पर जूते न पहनकर काले रंग के मोज़े पहने थे, जो अश्वेत अमेरिकियों की ग़रीबी का प्रतीक था. स्मिथ ने काला स्कार्फ़ अश्वेत गर्व को इंगित करने के लिए पहना था, तो कार्लोस ने अपनी जैकेट की ज़िप खुली रखकर अमेरिकी कामगारों को रेखांकित किया था. उन्होंने एक माला भी पहनी थी, जो भीड़ द्वारा मारे गये, हत्या के पीड़ितों तथा अनाम मृतकों को समर्पित था. जॉन डॉमिनिस का वह चित्र ऐतिहासिक है. बाद में अपनी किताब में स्मिथ ने लिखा कि उनका दस्ताना पहने मुट्ठी तानना अश्वेत शक्ति का नहीं, बल्कि मानवाधिकार का सैल्यूट था.

subscription-appeal-image

Power NL-TNM Election Fund

General elections are around the corner, and Newslaundry and The News Minute have ambitious plans together to focus on the issues that really matter to the voter. From political funding to battleground states, media coverage to 10 years of Modi, choose a project you would like to support and power our journalism.

Ground reportage is central to public interest journalism. Only readers like you can make it possible. Will you?

Support now

You may also like