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एनएल इंटरव्यू: अशोक कुमार पांडेय के साथ उनकी नई किताब, गांधी और मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य पर बातचीत

लेखक अशोक कुमार पांडेय से उनकी नई किताब ‘उसने गांधी को क्यों मारा’ पर बातचीत.

WrittenBy:अतुल चौरसिया
Date:
   
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ज्यादा दिन नहीं बीते जब उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले से आई एक तस्वीर ने इस देश के सजग, जागरूक नागरिकों को अंदर तक हिला दिया था. दक्षिणपंथी कुनबे की एक तथाकथित नेत्री ने महात्मा गांधी के पुतले को गोली मार कर उनकी हत्या का पुनर्पाठ किया था. इतना ही नहीं, गांधी के पुतले से गोली लगने के बाद खून की धार भी निकली. यह घटना गांधी के भारत में भरोसा रखने वालों के लिए उम्मीद के खत्म हो जाने वाली, मन टूट जाने वाली घटना थी. लेकिन गांधी उस विचार का नाम है जिसमें भरोसा रखने की पहली शर्त ही है कि आप कभी निराश या नाउम्मीद नहीं हो सकते, वरना जिस साम्राज्य में कभी सूरज अस्त नहीं होता था उसके सूर्यास्त की पटकथा भारत कभी न लिख पाता.

मौजूदा राजनीतिक तंत्र में ऐसे लोगों की भरमार है जो गांधी से हत्या की हद तक ईर्ष्या रखते हैं. प्रज्ञा सिंह ठाकुर जैसे संसद में बैठे लोग हों या आईआईएमसी जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में बतौर शिक्षक विराजमान अनिल सौमित्र जैसे लोग हों.

किताब का कवर पेज

भारत का जो मौजूदा राजनीतिक विचार है, आजादी के समय इसकी कल्पना के एकदम विपरीत सोच रखने वालों का विचार है. इस लिहाज से गांधी की हत्या, उनके हत्यारों, उनकी भूमिका पर हिंदी में नए सिरे से बहस शुरू करना बहुत अहम कार्य है. लगभग सवा साल की शैशवावस्था वाले भारत में गांधी की हत्या भारत के असमय यतीम हो जाने वाली घटना थी. एक लड़खड़ाते भारत के सिर से पिता का साया उठ जाने वाली घटना. इस नुकसान की भरपायी कभी नहीं हो सकती थी.

जिन सावरकर को आज भारत रत्न देने की चर्चा चलती है, उस सवारकर की गांधी हत्या में भूमिका क्या थी, जिस गोडसे का मंदिर आज ग्वालियर में बना है उसका संघ और सावरकर से क्या रिश्ता था, गांधी की हत्या को किस तरीके से हत्यारों ने सिरे पहुंचाया, कौन लोग थे जिन्होंने सरकार में रहते हुए हत्यारों को परोक्ष-अपरोक्ष तरीके से सहायता पहुंचायी और इन सबसे अहम बात है कैसे 70 सालों में भारत एक उल्टी यात्रा तय करते हुए उन्हीं खलनायकों को नायक मानने लगा और नायकों को खलनायक. भारत की इस उल्टी यात्रा को एक बार फिर से एकदम शुरुआत से पकड़ने का एक जरिया लेकर आई है अशोक कुमार पांडेय की नई किताब ‘उसने गांधी को क्यों मारा’.

अशोक कुमार पांडेय से यह विस्तृत बातचीत आपको आजादी के समय के भारत, उसकी राजनीति और आज के कथित ‘नायकों’ की हकीकत से रूबरू करवाएगा, ऐसी उम्मीद है.

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